________________ प्रकारान्तर (1) ___प्रकारान्तर (2) श्वास मूल अवस्था की प्राप्ति एवं पूर्व स्थिति में लौटते समय अंतकुंभक। मूल आसन की अन्तिम स्थिति में श्वास - क्रिया दीर्घ एवं गहरी रहेगी। आवृत्ति पुराने अभ्यासी मूल हलासन एवं अतिरिक्त क्रियाओं की अंतिम स्थिति को 10 मिनट से अधिक कर सकते हैं। नये अभ्यासी प्रथम सप्ताह में प्रत्येक क्रिया की पुनरावृत्ति चार बार करें। प्रत्येक क्रिया में पंद्रह सेकेण्ड से अधिक समय न लगाइये / प्रति सप्ताह प्रत्येक क्रिया की अवधि पंद्रह सेकेण्ड बढ़ाइये / एकाग्रता आध्यात्मिक : विशुद्धि या मणिपुर चक्र पर / शारीरिक एवं मानसिक : उदर, पृष्ठ प्रदेश की मांसपेशियों के शिथिलीकरण, श्वसन या चुल्लिका ग्रंथि पर। क्रम सर्वांगासन के बाद हलासन का अभ्यास कीजिये / इसके पश्चात् विपरीत आसन के रूप में मत्स्यासन, उष्ट्रासन या सुप्त वज्रासन का अभ्यास सर्वांगासन एवं हलासन के अभ्यास काल से आधी अवधि तक कीजिए। 204