________________ सिर के बल किये जाने वाले आसन यह महत्वपूर्ण आसनों का समुदाय है / इस वर्ग के अन्तर्गत ऐसे आसन सम्मिलित हैं जो मस्तिष्क एवं सम्पूर्ण शरीर को लाभ प्रदान करते हैं। परन्तु आवश्यकता इस बात की है कि इनका अभ्यास उचित परिस्थिति में विधिपूर्वक किया जाये / विपरीत परिस्थिति में इनके अभ्यास से लाभार्जन नहीं किया जा सकता या बहुत ही अल्प मात्रा में लाभ की प्राप्ति होती है या अभ्यासी को हानि भी पहुंच सकती है। सिर के बल किये जाने वाले आसन मस्तिष्क में उचित मात्रा में रक्त - प्रवाह करते हैं / परिणामतः असंख्य नाड़ी-तन्तुओं को शक्ति प्राप्त होती है एवं मस्तिष्क के विषैले पदार्थों का निष्कासन होता है। सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त विषाक्त द्रव्य शरीर के बाहर निकल जाते हैं। समस्त अंग, मांसपेशियाँ, नाड़ियाँ आदि अधिकतम मात्रा में क्रियाशील बन जाते हैं; अतः सम्पूर्ण शरीर की क्रियाशीलता में वृद्धि होती है। शरीर को नियंत्रित करने वाले अंगों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। सोचने - विचारने की शक्ति व एकाग्रता बढ़ जाती है। बिना तनाव के अधिक कार्य करने की क्षमता आ जाती है / इन आसनों के नियमित अभ्यास से चिंता, मानसिक तनाव या विकार पूर्णतः दूर भले ही न हों, लेकिन कम अवश्य ही हो जाते हैं। पर्याप्त मात्रा में मस्तिष्क में रक्त पहुँचने से अंतःस्रावी ग्रंथि - संस्थान की प्रमुख 'पीयूष ग्रंथि' की कार्य क्षमता अपेक्षाकृत बढ़ जाती है। इसका प्रभाव हमारी विचार प्रणाली, समस्त शरीर एवं व्यक्तित्व पर पड़ता है। इस प्रकार इनसे पूर्ण शरीर को लाभ मिलता है। इन आसनों के अभ्यास से पैरों तथा उदर प्रदेश में एकत्रित रक्त का बहाव वापस छाती की ओर हो जाता है / तत्पश्चात् यह रक्त फेफड़ों में भेज दिया जाता है जहाँ ऑक्सीजन ग्रहण कर कार्बन डाइ ऑक्साइड का निष्कासन कर दिया जाता है। शुद्ध किया हुआ यह रक्त पुनः शरीर के विभिन्न अंगों में भेज दिया जाता है। इनसे शरीर का निर्माण करने वाले कोषों का पोषण होता है। सिर के बल किये जाने वाले आसनों की नियमावली (1) भोजनोपरांत कम से कम तीन घंटे तक इन आसनों का अभ्यास मत ... कीजिये। 187