________________ शीर्ष अंगुष्ठ योगासन शीर्ष अंगुष्ठ योगासन शीर्ष अंगुष्ठ योगासन विधि हाथों को पीछे बाँधकर पैरों में 2 या 3 फुट का अंतर रखकर खड़े हो जाइये / ऊपरी धड़ को बायीं ओर मोड़िये / शरीर को कमर से नीचे की ओर झुकाइये तथा हाथों को ऊपर की ओर जाने दीजिए / नाक को पैर के अंगूठे से स्पर्श कराने का प्रयत्न कीजिये। . इस स्थिति में आने के लिए आपको बायाँ पैर कुछ झुकाना पड़ेगा / धड़ को ऊपर उठाते हुए पूर्व स्थिति में वापस लौट आइये। श्वास . खड़ी हुई स्थिति में श्वास अन्दर लीजिये। झुकते व लौटते समय श्वास अंदर ही रोकिये। पूर्व स्थिति में लौटकर श्वास बाहर छोड़िये / आवृत्ति शरीर के दोनों ओर से पाँच-पाँच बार कीजिये / सीमाएँ - स्लिप डिस्क या पीठ की किसी अन्य समस्या वाले इसे न करें। .. लाभ यह पैर के निचले प्रदेश व मेरुदण्ड की मांसपेशियों को खींचता है | ' सम्पूर्ण नाड़ी - संस्थान को उत्तेजित कर अधिक क्रियाशील बनाता है। उदर - सम्बन्धी दोषों तथा कोष्ठबद्धता को दूर करता है। 173