________________ पाद प्रसार पश्चिमोत्तानासन 2 विधि - . सामने पैर फैलाकर व हाथों को पीछे की ओर फँसाकर बैठ जाइये | धड़ को नीचे झुकाते हुए तथा हाथों को ऊपर उठाते हुए नाक से दोनों घुटनों के बीच की जमीन को छूने का प्रयल कीजिये / धड़ को ऊपर उठाकर पूर्व स्थिति में लौटिये / पाद प्रसार पश्चिमोत्तानासन 3 विषि ऊपर दी हुई विधि के अनुसार बैठ जाइये, लेकिन हाथों को पीछे मत ले जाइये। हाथों को सामने की ओर लाकर पैरों के दोनों अंगूठों को पकड़िये तथा दोनों घुटनों के बीच की जमीन को माथे से स्पर्श करने का प्रयत्न कीजिये / घुटनों को नहीं मोड़िये / श्वास बैठी हुई अवस्था में स्वाभाविक रूप से श्वास लीजिये / सामने की ओर झुकते समय, अंतिम स्थिति में पहुँचकर एवं वापस लौटते समय श्वास को अन्दर ही रोककर रखिये। आवृत्ति ५.बार तक कीजिये। क्रम इस आसन के बाद पीछे की ओर झुकने वाला आसन कीजिये / सीमाएँ - साइटिका, पीठ के दर्द, जोड़ों की सूजन या उदरस्थ रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए। लाभ ....... इस आसन से भी करीब-करीब वे सभी लाभ हैं जो पश्चिमोत्तानासन से होते हैं। 171