________________ एकाग्रता . आध्यात्मिक : स्वाधिष्ठान चक्र पर / शारीरिक और मानसिक : उदर या पीठ की मांसपेशियों पर या श्वास पर। सीमाएँ ___ साइटिका, जोड़ों के दीर्घकालिक दर्द, पीठ - दर्द या उदर रोग में न करें। . क्रम ___ इसे पीछे की ओर झुक कर किये जाने वाले आसन के बाद करें। लाभ कमर एवं नितम्बों की मांसपेशियों को स्वस्थ करता है। ... पेट की अनावश्यक चर्बी को कम करता है। मोटापे, कोष्ठबद्धता, कब्ज आदि से छुटकारा दिलाता है। उदर-संस्थान के सभी अंगों पर विशेष दबाव डालता है व इस भाग की सभी बीमारियों जैसे मधुमेह आदि को अच्छा करता है तथा गुर्दो, जिगर, क्लोम व उपवृक्क ग्रन्थि को क्रियाशील बनाता है | कटि प्रदेश के सभी अंगों पर दबाव डालता है व उन्हें हल्का करता है, इसलिए यह स्त्रियों के प्रजनन अंगों के रोगों को दूर करने में विशेष रूप से लाभदायक है। रीढ़ की नसों व मांसपेशियों में नये ताजे रक्त का संचार करता है। पीठ के हर प्रकार के दर्द को दूर करता है। यह आसन मस्तिष्क की नाड़ियों पर आश्चर्यजनक प्रभाव डालता है और मस्तिष्क के समस्त तनावों को दूर कर मानसिक सन्तुलन बनाये रखने में विशेष उपयोगी है। परम्परागत रूप से आध्यात्मिक लाभ के लिए यह एक बहुत ही शक्तिशाली आसन माना गया है और योग-संबंधी सभी प्राचीन ग्रंथों में इसको अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। 168