________________ आगे की ओर झुकने वाले आसन आसनों का यह वर्ग मेरुदंड की समस्त रक्त - शिराओं, पीठ की मांसपेशियों व उदर - प्रदेश को दबाने, खींचने एवं उसकी भली-भाँति मालिश करने में बहुत उपयोगी एवं गुणकारी है / लचीला मेरुदंड स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है। प्रायः यह देखा जाता है कि जिनके मेरुदंड लचीले और मुलायम होते हैं, वे उतने स्वस्थ व रोगमुक्त पाये जाते हैं / ठीक इसके विपरीत जिनकी मांसपेशियाँ व मेरुदंड कड़े और कठोर होते हैं, वे अनेक रोगों से ग्रस्त रहते हैं। अतः पीठ, रीढ़ या मेरुदंड का लचीला होना एक वरदान है / यह भी सर्वमान्य सत्य है कि जिन व्यक्तियों ने इन आसनों का अभ्यास किया है, उन्हें अपने जीवन में अनेक परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए हैं। उनके स्वास्थ्य तथा स्वभाव में पहले से बहुत अधिक अन्तर आ गया है. तथा उन्हें नव-जीवन मिला है। रोगी चिड़चिड़े व नीरस जीवन को छोड़कर अब स्वस्थ जीवन का उपभोग कर रहे हैं। विशेषकर नये अभ्यासियों को जो शारीरिक परिश्रम की अपेक्षा बैठकर मानसिक परिश्रम अधिक करते हैं, उन्हें प्रारम्भ में कुछ कठिनाई महसूस होगी; परन्तु इन आसनों का नियमित अभ्यास करते रहने से मांसपेशियाँ व मेरुदण्ड लचीले हो जायेंगे / फिर आगे की ओर झुकने में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होगा। शरीर में विशेष स्फूर्ति व ताजगी का अनुभव होने लगेगा। इन अभ्यासों के बाद कठिन से कठिन आसनों को करने के लिए शरीर को रबर की तरह किसी ओर भी मोड़ा जा सकता है। उचित लाभ हेतु एक तरफ झुकने वाले आसन के बाद उसके विपरीत ओर झुकने वाला आसन करना चाहिए / आसनों के अभ्यास के लिए कुछ आसनों का चयन कर लेना चाहिए और उन्हें एक-दो सप्ताह नियमित रूप से कर लेने के बाद क्रमशः कठिन अभ्यासों की ओर बढ़ना चाहिए। 166 .