________________ ग्रीवासन ग्रीवासन ग्रीवासन विधि पीठ के बल इस प्रकार लेट जाइये कि आपके घुटने मुड़े हुए रहें। हथेलियों व पंजों के सहारे धड़ को ऊपर उठाइये। ___दोनों हाथों को कैंचीनुमा आकृति में अपने सीने के ऊपर रखिये / श्वास लेटी हुई अवस्था में श्वास अन्दर तथा लौटते हुए श्वास बाहर / शरीर की उठी हुई स्थिति में श्वास अन्दर रोक कर रखें। . समय __श्वास रोक सकने तक इस आसन को करें / एकाग्रता आध्यात्मिक : मणिपुर या विशद्धि चक्र पर। , शारीरिक : गर्दन (चुल्लिका ग्रन्थि) या श्रोणि प्रदेश पर / क्रम इसे आगे की ओर झुक कर किये जाने वाले आसन के बाद करें। सावधानी इस बात का ध्यान रखिये कि आसन करते समय सिर के नीचे तह किया कम्बल अवश्य रहे ताकि सिर में किसी प्रकार की चोट न लगे। सीमाएँ कमजोर गर्दन, उच्च रक्तचाप, अनियमित मासिक धर्म रहने पर न करें। लाभ ऊपरी कशेरुकाओं को समतल करता है एवं स्त्रियों के रोगों को दूर करता है / यह गर्दन की शिराओं व तन्तुओं को मजबूत करता है। 154