________________ श्वास जमीन से शरीर को ऊपर उठाते समय श्वास अन्दर लीजिये / अन्तिम स्थिति में श्वास अन्दर रोक कर रखें। पूर्व स्थिति में लौटते समय धीरे-धीरे श्वास बाहर छोड़ दीजिये / समय अन्तिम स्थिति में 1 मिनट रुकिये। इस आसन को पाँच बार दुहराइये / एकाग्रता आध्यात्मिक : विशुद्धि चक्र या आज्ञा पर। . शारीरिक : पीठ, उदर या श्वास-प्रक्रिया पर / सीमाएँ जो व्यक्ति पेट के घाव, हर्निया, आँत की बीमारी या चुल्लिका ग्रन्थि की अधिक क्रियाशीलता से पीड़ित हैं, उन्हें किसी अच्छे डॉक्टर या योग प्रशिक्षक की सलाह के बिना इस आसन को नहीं करना चाहिए। लाभ वह स्त्रियों के प्रजनन सम्बन्धी विकारों को जैसे प्रदर, कष्टप्रद मासिक धर्म और अनियमित मासिक धर्म आदि के कष्ट को दूर करने में सहायक है। साधारण तौर पर अण्डाशय और गर्भाशय को भी इस आसन से लाभ पहुँचता है। यह भूख को उत्तेजित करता है तथा कोष्ठबद्धता और कब्ज का नाश करता है / साधारणतया यह आसन उदर के सभी संबंधित अंगों, विशेष रूप से जिगर (liver) और गुर्दो (kidneys) के लिए लाभदायक है। स्लिप डिस्क सम्बन्धी छोटे-मोटे दर्द को तथा पीठ के समस्त प्रकार के दर्दो को भी यह आसन दूर करता है। इस आसन से मेरुदण्ड संस्थान लचीला, स्वस्थ व पुष्ट बनता है। 144