________________ आसन सत्र में क्रम आदर्श रूप में सूर्य नमस्कार का अभ्यास अन्य आसनों से पूर्व करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर ढीला होता है और नींद व आलस्य दूर होते हैं। सूर्य नमस्कार के अभ्यास के बाद कुछ मिनटों के लिए शवासन अवश्य करना चाहिए / इससे हृदय की धड़कन व श्वास को सामान्य स्थिति में आने का समय मिलेगा / शरीर की समस्त मांसपेशियाँ शिथिल हो जायेंगी। सावधानी शरीर में अधिक विषैले पदार्थ होने से सूर्य नमस्कार के अभ्यास के दौरान यदि ज्वर की दशा उत्पन्न हो जाये तो सूर्य नमस्कार का अभ्यास बन्द कर देना चाहिए / कुछ समय तक अन्य आसनों के अभ्यास से इन विषैले तत्वों को शरीर से निकाल देने के बाद सूर्य नमस्कार का अभ्यास पुनः शुरू किया जा सकता है। बिना किसी थकान के अभ्यासी जितने चक्रों का अभ्यास कर सकता है, उसे उतना ही करना चाहिए। सीमाएँ सर्य नमस्कार के अभ्यास के लिए आयु का कोई बन्धन नहीं है, युवा व वृद्ध दोनों ही इसे कर सकते हैं। महिलाओं को मासिक धर्म के दिनों में अथवा गर्भ के चौथे महीने के बाद इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए / लाभ . प्रत्येक स्थिति के वर्णन के साथ कुछ लाभों का वर्णन किया गया है जो मुख्य रूप से उसी अभ्यास विशेष से संबंधित हैं / वैसे सूर्य नमस्कार से अनेक दूसरे लाभ भी हैं जो अभ्यास के सामूहिक प्रभाव के रूप में मिलते हैं, न कि किसी एक अभ्यास से। शरीर की विभिन्न प्रणालियों जैसे नलिकाविहीन ग्रन्थि प्रणाली, रक्त संचार प्रणाली, श्वास-प्रश्वास प्रणाली, पाचन प्रणाली आदि पर इसका बड़ा शक्तिशाली प्रभाव पड़ता है और इसके अभ्यास से इन प्रणालियों में सन्तुलन स्थापित हो जाता है। जब इनमें से एक या अनेक प्रणालियाँ सन्तुलन खो बन्ती हैं तो अनेक रोग उत्पन्न होने लगते हैं। 123