________________ स्थिति 5 स्थिति 5 : पर्वतासन विधि दायें पैर को सीधा करके बायें पंजे के पास रखिये। नितम्बों को ऊपर उठाइये और सिर को भुजाओं के बीच में लाइये। अन्तिम स्थिति में पैर और भुजाएँ सीधी रहें। इस स्थिति में एड़ियों को जमीन से स्पर्श कराने का प्रयास कीजिये। . श्वास दायें पैर को सीधा करते एवं धड़ को उठाते समय श्वास छोड़िये / एकाग्रता विशुद्धि चक्र पर। ॐ खगाय नमः लाभ भुजाओं एवं पैरों के स्नायुओं एवं मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है। अभ्यास 4 के विपरीत आसन के रूप में रीढ़ को उल्टी दिशा में झुकाकर उसे लचीला बनाता है / रीढ़ के स्नायुओं के दबाव को सामान्य बनाता है तथा उनमें ताजे रक्त का संचार करने में सहायक है। 118