________________ स्थिति 4 स्थिति 4 : अश्व संचालनासन विधि बायें पैर को जितना सम्भव हो सके पीछे फैलाइये / . इसी के साथ दायें पैर को मोड़िये; लेकिन पंजा अपने स्थान पर ही रहे / भुजाएँ अपने स्थान पर सीधी रहें। इसके बाद शरीर का भार दोनों हाथों, बायें पैर के पंजे, बायें घुटने व दायें पैर की अंगुलियों पर रहेगा | अंतिम स्थिति में सिर पीछे को उठाइये, कमर को धनुषाकार बनाइये और दृष्टि ऊपर की तरफ रखिये। शास... . ___ बाएँ पैर को पीछे ले जाते समय श्वास लीजिये / एकाग्रता आज्ञा चक्र पर। ॐ भानवे नमः आमाशय के अंगों की मालिश कर कार्य -प्रणाली को सुधारता है। पैरों की मांसपेशियों को शक्ति मिलती है। 117