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________________ टिप्पणी * इस आसन का प्रयोग शंख प्रक्षालन के अभ्यास में किया जाता है। प्रकारान्तर 2 कलाइयों को सिर के ऊपर कैंचीनुमा बनाकर खड़े हो जाइये। अपने शरीर को कमर से जमीन के समानान्तर आगे की ओर झुकाइये। एक ही बार में अपने धड़ को उठाइये तथा पैरों की अंगुलियों पर खड़े हो जाइये और अपनी रीढ़ को ऊपर की ओर खींचिये | अपनी भुजाओं को कन्धों की सीध में दोनों ओर फैला दीजिए। पुनः अपने सिर के ऊपर कलाइयों की कैंची बनाइये / एड़ियों को नीचे लाइये और शरीर को सामने झुकाइये। . सीधी. स्थिति में वापस लौट आइये / श्वास ऊपर उठते समय श्वास अन्दर व नीचे की ओर आते समय बाहर / : समय 10 बार कीजिए। यह शीर्षासन की तरह उल्टे होकर लगाए जाने वाले आसनों का विपरीत आसन है। लाभ ताड़ासन मलाशय व आमाशय की मांसपेशियों को विकसित करता है और आँतों को फैलाता है। यह मेरुदण्ड के सही विकास में सहायता करता है और जिन बिन्दुओं से स्नायु निकलते हैं, उनके अवरोधों को दूर करता है। 6 गिलास पानी पीकर ताड़ासन में 100 कदम चलने से यदा-कदा उत्पन्न हो जाने वाली आँतों की रुकावट दूर की जा सकती है। गर्भ के प्रारम्भिक 6 महीनों की स्थिति में लाभप्रद है। 102
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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