________________ सप्ततिकभिधः षष्ठः कर्मग्रन्थः अट्ठच्छाहिगवीसा, सोलस वीसं च २बारस छ दोसु / दो चउसु तीसु इक्कं, ३मिच्छाइसु आउए भंगा ॥४७॥(प्र०) गुणठाणएसु अट्ठसु, इक्किक्कं मोह बंधगाणं तु / ५पंच अनिअट्टिठाणे, बंधावरमो परं तत्तो // 41 // 48 // सत्ताइ दस उ मिच्छे, सासायणमीसए निवुक्कोसा। छाई "नव उ अचिरए, देसे पंचाइ अट्टेव // 43 // 49 // चिरए खओवसमिए, चउराई सत्त छच्चऽपुच्वंमि / ८अनिअट्टिबायरे पुण, इक्को व दुवे व उदयंसा // 43 // 50 // एगं सुहुमसरागो, वेएइ अवेअगा भवे सेसा / 'भंगाणं च पमाणं, पुव्वुद्दिटेण नायव्वं // 44 // 51 // १०इक्क छडिक्कारिक्का-रसेव इक्कारसेव ११नव तिन्नि / एए चउवीसगया, बार दगे पंच १२इक्कमि // 45 // 52 // ‘बारसपणसट्ठिसया, उदयविगप्पेहिँ १३मोहिआ जीवा / चुलसीई .सत्तृत्तरि, पय१४विंदसएहिँ १५विन्नेआ ।।५३॥(प्र०) अट्ठग चउ चउ चउरगा य, चउरो १६अ हुँति चउवीसा / मिच्छाइअपुव्वंता, बारस पणगं च. 1 अनिअट्टी ।।५४।।(प्र०) १८जोगोवओगलेसा,-इएहि गुणिआ हवंति १९कायव्वा / जे जत्थ 2 गुणट्ठाणे, हवंति ते तत्थ गुणकारा / / 46 / / 5 / / अट्ठी बत्तीसं, बत्तीसं सट्टिमेव २१बावन्ना / २२चोआल दोसु वीसा,२३विअमिच्छमाईसु २४सामन्नं ॥५६॥(प्र०) 1. "च्छाहियः' इत्यपि। 2. "बार छ होसु" इत्यपि / 3. "मिच्छाइसु आउगे" इत्यपि / 4. "०बंधठाणं" इत्यपि / 5. “पंचानि०" इत्यपि / 6. "णवु०" इत्यपि / 7. "णव" इत्यपि / 8. "अणि." इत्यपि / 9. 'एको" इत्यपि / 10. “एक्कछड़ेक्कारसेव एक्कारसेव" इत्यपि / 11. “णव" इत्यपि / 12. “एक्कम्मि" इत्यपि / 13. "मोहिया" इत्यपि / 14. "बंधसएहि" इत्यपि / 15. "विन्नेया" इत्यपि / 16. "य" इत्यपि, “य होंति" इत्यपि वा / 17. "अनिय?" इत्यपि, “अणिय?" इत्यपि वा / 14 55-56 तमगाथयोर्हस्तलिखितप्रतौ व्यत्ययोऽस्ति / 19. "नायव्वा” इत्यपि / 20. “गुणट्ठाणेसु डंति" इत्यपि / “गुणट्ठाणेसु होंति" इत्यपि / 21. "बावण्णा' इत्यपि / 22. "चोयालु" इत्यपि / “चोयालं चोयलं वीसा विय मिच्छमाईसु // " इत्यपि / 23. “मिच्छामाईसु" इत्यपि। 24 “सामण्णं" इत्यपि /