________________ षडशीतिनामा चतुर्थः कर्मग्रन्थः सासणभावे नाणं, विउविगाहारगे उरलमिस्सं / नेगिदिसु 'सासाणो, नेहाहिगयं सुयमयं पि // 72 / / लेसा तिन्नि पमत्त, तेऊपम्हा उ अप्पमत्तता / सुक्का जाव सजोगी, निरुद्धलेसो अजोगि त्ति || 73 // बंधस्स मिच्छ अविरइकसायजोग त्ति हेयवो चउरो / पंच दुवालस पणुवीस पनरस कमेण भेया सिं // 74 // आभिग्गहियं अणभिग्गहं च तह अभिनिवेसियं चेव / संसइयमणाभोगं, मिच्छत्त पंचहा एवं // 75 / / बारसविहा अविरई, * मणइंदियअनियमो छकायवहो / सोलसं नव य कसाया, पणुवीसं पन्नरस जोगा / / 76 // पणपन्नपन्नतियछहिय, चत्तउणचत्त छचउदुगवीसा / सोलसदसनवनवसत्त हेउणो न उ अजोगिम्मि // 77 / / तो नाणदंसणावरणवेयणीयाणि मोहणिज्जं च / आउयनामं गोयंतरायमिइ अट्ठ कम्माणि // 78 // सत्तट्ठछेगवंधा, संतुदया अट्ठ सत्त चत्तारि / सत्तछपंचदुर्ग, उदीरणाठाणसंखेयं // 79 // अपमत्तता सत्तट्ठ मीसअप्पुव्ववायरा सत्त / बंधंति छ सुहुमो एगमुवरिमा बंधगोऽजोगी // 8 // जा मुहुमो ता अट्ठ वि, उदए संते य होंति पयडीओ। सत्तढुवसंते खीणि सत्त चत्तारि सेसेसु // 81 // सत्तट्ठ पमत्तंता, कम्मे उइरिति अट्ठ मौसो उ। वेयणियाउ विणा छ उ, अपमत्तअपुव्वअनियट्टी // 2 // सुहुमो छ पंच उइरेइ पंच उवसंतु पंच दो खीणो / जोगी उ नामगोए, अजोगिअणुदीरगो भयवं // 3 // १सासाणोत्ति नेहाहिगर्य' इत्यपि / 2 "आमिग्गहियं किल दिक्खियाणमणमिग्गहं तु इयराण / गुदामाहिलमाईण जं आमिनियेसि यं तं तु // 1 // संसइयं मिच्छत्तं जा संका जिणवरुत्ततत्तेसु / विगलिंदियाण जं पुण तमणामोगं विणिदि8 // 2 // इति गाथायुग्ममधिकं प्रक्षिप्तगाथात्वेन 75-76 गाथाद्वयमध्ये दृश्यते हस्तलिखितप्रतौ / 3 “चत्तिगुणचत्त." इत्यपि। 4 "हुन्ति' इत्यपि।