________________ षडशीतिनामा चतुर्थः कर्मग्रन्थः सत्त उ सासाणे बायराइ छ अपज सनिपज्जो य / तेउल्लेसे बायरअपजत्तो दुविहसन्नी य // 24 // अस्सन्नि आइ बारस, अणहारे अट्ठ सत्त अपजत्ता।। सन्नी पज्जत्तो तह, इय 'गइयाइसु जियट्ठाणा // 25 / / मिच्छे सासण मीसे, अविरयदेमे पमत्तअपमत्ते / 'नियटि अनियट्टिसुहुमुवसमखीणसजोगजोगिगुणा // 26 // चत्तारि देवनरएसु पंच तिरिएसु चउदस नरेसु / इगिविगलेसु दो दो, पंचिंदीसु चउद्दस वि / / 27 / / "भूदगतरूसु दो एगमगणिवाऊसु चउदस तसेसु / जोए तेरस वेए, तिकसाए नव दस य लोभे // 28 // महसुयओहिदुगे नव, अजयाइजयाइ सत्त मणनाणे / 'केवलदुगंमि दो तिन दो व पढमा अनाणतिगे / / 26 / / सामाइयछेएसु, चउरो परिहार दो पमत्ताई / देससुहुमे सगं पढमचरमचउ अजयअहखाए // 30 // बारस अचक्खुचक्खुसु, पढमा लेसामु तिसु छ दुसु सत्त / सुकाएँ तेरस गुणा, सव्वे भव्वे अभव्वेगं / / 31 / / वेयगखइगउवसमे, चउरो एक्कारसट्ठ तुरियाई / सेसतिगे सट्ठाणं, सन्निसु चउदस असन्निसु दो // 32 // आहारगेसु पढमा, तेरसऽणाहारगेसु पंच इमे / "पढमंतिमदुगअविरय, गइयाइमु इय गुणट्ठाणा // 33 // सच्च- मोसं मीसं, असच्चमोसं मणं तह वई य / उरलविउव्वाहारा, मीसा कम्मइगमिय जोगा // 34|| एक्कारस सुरनारयगईसु आहारउरलदुगरहिया / १"गइयाईसु जियठाणा" इत्यपि। 2 "मिस्से" इत्यपि / 3 "नियट्टिअनियट्टिसुहुमुवसमखीणसजोगिअजोगिगुणा / 26 // " इत्यपि पाठो मुद्रितप्रतौ हस्तलिखितमूलगाथाप्रतौ च दृश्यते। किन्तु तत्र छन्दमङ्गोऽस्ति सुखावगमार्थमेवंभूतः पाठः कृतः सम्भाव्यते / हस्तलिखितयशोभद्रसूरिवृत्तियुतगाथाप्रतौ पुनरस्माद्भिन्न उपरि दर्शितेन तुल्यश्च पाठो लभ्यते / 4 अत्राऽपि पूर्ववन्मुद्रितप्रतिहस्तलिखितमूलगाथाप्रत्यादिषु भूद'गतरूसु दो दो इगमगणिवाउसु चउदस तसेसु / " इत्यपि पाठः प्राप्यते / श्रीमन्मलयगिरिपादेरेतत्पाठानुसारेणेव वृत्तिर्विहिता दृश्यते / 5 "पढमतदुगअविरया इय गइयाईसु गुणठाणा" इत्यपि /