________________ गुणस्थानकेषु जघन्योत्कृष्टान्तरस्य पुद्गालपरावर्तस्वरूपस्य वर्णनम [ 36 * सत्तराहयरेण उ इय फुसणे सुहुमदव्वपरियट्टो / अराणे चउतणुसु कमेणिमेण तं बिति दुविहं पि // 107 // 111 // चउण्हं सरीराणं, तिहं मणवइपाणुए, एगयरेणं सव्वलोयपुग्गला परिणामित्ता एगजीवेणं मुक्का ठवेज्जा तया सुहुमो दव्वपरियट्टो / 'अण्णं चउतणुसु" अण्णेआयरिया जया चउहिं सरीरेहिं सव्वपुग्गला परिणामिय 2 मुक्का हवेज्जा, तया बायरो दव्वपरियट्टो / जया चउण्ह एगयरेणं, तया सुहुमपोग्गलपरियट्टो // 107||111 / / लोगपएसो 1 सप्पिणिसमया 2 अणुभागबंधठाणा य 3 / पुट्ठा मरणेगा जया कमुक्कमा बायरुत्ति तया // 108 // 112 // लोगो.चउद्दसरज्जू , तस्स आगासपएसा / ओसप्पिणिगहणतो अवसप्पिणि वि गहिया / जहा दिवसे गहिए राई वि गहिया / तेसि जत्तिया समया / अणुभागबंधज्झवसाणट्ठाणा / लोगपएसा अणंतरपरंपरअपुणरुत्तं जया मरणेण फासिया ठवेज्जा, तया चायरो खेत्तपुग्गलपरियट्टो / एवं ओसप्पिणिसमया फासिया हवेज्जा, तया बायरो कालपुग्गलपरियट्टो / एवं अणुभागट्ठाणा वि / नवरं सव्वेसु अणुभागवंधाणेसु अणंतरपरंपरअपुणरुत्तं उदए वट्टमाणो मरिज्जा, तया बायरो भावपुग्गलपरियट्टो // 108 // 112 / / पुट्ठाणांतरमरणेण पुणा जया ते तया भवे सुहुमे / पोग्गलपरियट्टो खितकालभावेहिँ इय नेयो॥१०॥११३॥ "अणंतरमरणेणं ति एसो आगासपएसो विवक्खिज्जइ / तत्थ पएसे स उ पुणो तस्सेव अणंतरं जइ मरइ, तओ तस्स लेखए गणिज्जइ / अण्णत्थ मओ न गणिज्जइ / एवं अणंतरमरण सबलोगआगसपएसा फासिया हवेज्जाः तओ सुहमो खेत्तपोग्गलपरियट्टो / "ओसप्पिणि. समय" त्ति ओसप्पिणीए पढमसमओ विवक्खिज्जइ / तओ समऊणाओ वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ अइक्कंताओ बीयसमए मरणवारओ जइ तत्थ तओ लेखए गणिज्जइ / अन्नत्थ मओ न गणिज्जइ / एवं अणंतरमग्णेण वीसाणं सागरोवमकोडाकोडीणं जत्तिया समया। जया सव्वे अणंतरमरणेण फासिया हवेज्जा तओ सुहुमो कालपुग्गलपिरियट्टो / ठवणा (1) // 106 / 113 / / समयभवसुहुमयगणी असंखलोगा तो असंखगुणा। तेऊ तक्कायठिई कमसो अणुभागठाणा य // 11 // 123 // __ एगसमए भवा-जाया-उप्पणा एगळं / असंखेज्जाणं लोगाणं अत्तिया आगासपएसा, तत्तिया सुहुमअगणिकाइया एगसमएण उप्पज्जति मरंति या ते विवक्खया थोवा 1 / तेहितो तेओकाइया जीवंतगा असंखेज्जगुण 2 / तओ तेउकायकायठिई असंखेज्जगुणा 3 / तओ अणुभागबंधज्झवसायट्ठाणा असंखेज्जगुणा // तेसि जहण्णगमज्झिमउक्कोसमेयाणं अणेगा