________________ 28] सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणे कहं ? भण्णइ-मिच्छत्तस्स सत्तरिकोडाकोडी उकोसा ठीई तीए सत्तरीए भागो हरिज्जइ / लद्धा सागरोवमस्स सात सत्तभागा / कसायाणं चालीस कोडाकोडी उ उक्कोसो ठीबंधोः सत्तरीए भागे पाडिए लद्धा चत्तारि सत्त भागा सागरोवमस्स | नाणावरण-दसणावरण-वेणियाणं अंतरायस्स य तीसं कोडाकोडी उक्कोसो ठीबंधो / तीसे सत्तरीए भागे पा.डए लद्धा तिनि सत्तभागा सागरोवमस्स / नामगोयाण य वीमं कोडाकोडी उक्कोसो ठीईबंधो वीसाए सत्तरीए भागे पाडिए लद्धा दुण्णि सत्तभ.गा सागरस्स / / 73/77|| एसेगिंदियजेटो पलियासंखंसहीणलहुबंधो / पणुवीसं पन्नासा सयं सहस्सं य गुणकारो // 74 // 78 // एगिदियस्स उक्कोसगो ठिईबंधो सव्वकम्माणं जहण्णगो पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेण ऊणगो / एयं सामन्नेण जहण्णबंधो।। एवं मूलपयडीणं / उत्तरपयडीणं य एयाणुसारेण / जहा मणुयदुगस्स पण्णरससागरोवमकोडाकोडीओ, उक्कोसा ठीई / जहन्ना तस्सेव सत्तरिभागे पाडिए लद्धं सागरोवमस्स दिवड सत्तभागं। एवं सागरोवमस्स सहस्र / एवं सव्वेसिं अणुसारो वि भइयव्यो / एवं एगिदियस्स ठिईबंधो / एयाउ बेइंदियस्स पणवीसगुणो, एगिदियाउ तेइंदियस्स पन्नासगुणो, एगिदियाउ चउरिदि यस्स सयगुणो, एगिदियाओ असण्णिपंचिंदियस्स सहस्सगुणो // 74 // 78 / / कमसो विगलग्रसरणीण पल्लसंखंसऊणयो डहरो। सुरनिस्याउ समा दस सहस्स सेसाउ खुड्डुभवं // 7 // 7 // पलिओवमस्स संखेयभागूणो जहनो चउण्हं पि / देवाउयनरयाउयस्स य जहन्नट्ठीबंधो दसवरिससहस्साणि / "सेसाउ" मणुयाउयं तिरियाउयं जहण्णट्ठीपंधो खुड्डगभवं // 75||79 / / सहसगुणेगिदिठिई विउविछवके जयो असन्निसुतं / केसिंचि सुराउसमं तित्थं थाहारगंतमुहू // 76 // 8 // वेउब्वियछगस्स एगिदियाओ सहस्सगुणा वनइ / जओ असन्निपंचिंदियस्स जहन्नेण वि वेउव्वियछक्कगस्स बंधोः न एगिदिय-विगलिंदियाणं / केसिंचि आयरियाणं मएण तित्थयरनामस्स दसवाससहस्साई जहण्णो ठीईबंधोः आहारगस्स अंतमुहुत्तं // 76 / / 80 // भिन्नमुहुत्तमबाहा सव्वासि सव्वहिं डहरबंधे / पाउसु जिट्ठे वि जो संखेप्पद्धा भवे तेसु // 77 // 81 // अंतोमुहुत्तं आवाहा सव्वासि पयडीणं सव्वहिं जहण्णठीबंधे / आउयस्स विवरीयं जओ जेठे वि जहण्णा अबाहा, जहण्णे वि उक्कोसा अबाहाः एत्थ चउभंगो // 77 // 81 //