________________ उत्तरप्रकृतीनामुत्कृष्टजघन्यस्थितिबन्धप्रमाणस्य प्ररूपणम् अंतोकोडाकोडी तित्थाहाराण जिट्टठिइबंधो / अंतमुहुत्तमबाहा इयरो संखिजगुणहीणो // 66 // 73 // तित्थयरनामस्स आहारगसत्तगस्स य, अंतोकोडाकोडी उवकोसो ठीइबंधो / अंतमुहत्तं अवाहा / इयरा जहण्णा सा संखेजगुणहीणा | सा वि अंतोकोडाकोडी / तित्थयरनामस्स कहमंतोमुत्तमेत्तमबाहा ?, जओ-"बज्झइ तं तु भगवओ तइअमवोसक्कइत्ताणं" ति / भण्णहतित्थयरनामस्स पओगओ उइण्णस्स आणेसरियाइलद्धीओ अण्णजीवेहितो विसेसियतराओ संभवंति / तेणेवं होइत्ति संभावयामि // 69 // 73 / तेत्तीसुदही सुरनारयाउ नरतिरियाउ पल्लतिगं / निरुवकमाण छ मासा अबाह सेसाण भवतंसो // 70 // 7 // देवाउयस्स निरयाउयस्स य तेत्तीमं सागरोवमाई उक्कोसो ठिईबंधो। निरुवक्कमाणं परभवाउयं बद्धं छहिं मासेहिं उदयं एइ / एवइया अबाहा / सेसाणं मणुयतिरियाणं संखेज्जवासा उयाणं भवतंसो भवस्स तिभागो उक्कोसिया अबाहा // 70 / 74 / / तह पुवकोडिएरो इगविगलिंदी न बंधए बाउं / अाउचउ परमबंधो पल्लासंखंसममणेसु // 71 // 7 // एगिदिया विगलिंदिया परभवाउयं पुव्वकोडि उक्कोसं ठिई बंधति; न परओ / तिरियमणुयाउमेव बंधति त्ति काउं / असण्णिपंचिंदियस्स आउचिउ)क्के वि पलिओवमस्सासंखेज्जभागं उक्कोसो ठिईबंधो। एवं तियासी 83 एगसहि 61 आहारसत्तगं७ तित्थयरनामं१आउचउक्कं च / एवं छप्पण्णपयडिसयस्स टिईवंधो भणिओ / न य बंधे सम्ममीसाई।।७१।७५।। उक्कोसट्ठीईबंधो समत्तो / / इयाणिं जहन्नट्ठीबंधो भण्णइ दंसणचउविग्यावरणलोहसंजलणहस्सटिइबंधो / अंतमुहत्तं ते अट्ठ जसुच्चे बारस य साए // 72 // 76 // दसणावरणचउक्कं अंतरायपणगं नाणावरणपणगं लोभसंजलणस्स य अंतोमुहत्तं जहण्णट्ठीईबंधो / जसकित्तीउ उच्चगोयस्स य अट्ठ मुहुत्ता जहण्णट्टीईबंधो / सायावेयणियस्स बारस मुहुत्ता / / 72 / / 76 / / "दो मासा पद्धद्धं संजलणतिगे पुमट्ठ वरिसाणि / सेसाणुकोसायो मिच्छत्तठिईय जं लद्धं // 73 // 77 / / कोहसंजलणाए. दो मासा, माणसंजलणाए एगो मासो, मायासंजलणाए पण्णरसदिणाणि, पुरिसवेयस्स अट्ठवरिसाणि जहन्नट्ठीईबंधो / “संसाण कोसाओ मिच्छत्तठिईभ जलद्ध"