________________ गुणस्थानेषु प्रकृतिविशेषसत्ता, सर्व देशघातिप्रकृतयश्च [16 संतकम्मियस्स सत्तावीससंतकम्मियस्स अत्थि / छव्वीससंतकम्मियस्स नत्थि / सेसेसु खाइगसम्मदिढेि पडुच्च नत्थि / इयरहा अस्थि / “संजोयणा उ नियमा दुसु"त्ति अणंताणुचंधिणो मिच्छदिद्विसासायणेसु अस्थि नियमाः जेण एए अणंताणुबंधिणो नियमा बंधति / "पंचसु होइ भइयवं"ति, सम्मामिच्छट्ठिी जाव अपमत्तसंजओ एएसु पंचसु ठाणेसु अणताणुवंधिसंतं भइयव्वं / कहं 1, भण्णइ,-उव्वलियं पडुच नत्थि, अण्णहा अत्थि / - अण्णे-नवसु भयणिज्जं / तेसिं मएणं अट्ठावीससंतकम्मिओ वि उवसमसेढी आरुहइ / तेसिं मएण अत्थि अणंतानुबंधि, उव्वलिएसु नत्थि / एवं भज्ज // 38 // 42 / / सब्बगुणेसाहारा सासणमिस्सरहिएसु वा तित्थं / नोभयसंते मिच्छो अंतमुहुत्तं भवे तित्थे // 36 // 43 // सव्वेसु गुणगेसु आहारसत्तगस्स संतं संभवइ / तित्थयरनामस्स मीससायणवज्जेसु संतं वियप्पेण भवइ / जया आहारगतित्थयरस्स उभयसंता हवइ, तया मिच्छत्तं न गच्छइ / "अंतमुहुतं भवे तित्थे" कहं ?, भण्णइ,-नरयबंधाउओ वेयगसम्मत्तं पडिवज्जइ / विसुज्झमाणो तित्थयरनामं बंधइ / अंतकाले सम्मत्तं ठवेइ / नरएसु उबवज्जइ / पज्जत्तिभावं गओ सम्मत्तं लहइ / एवं मिच्छदिद्विस्स तित्थयरनामं अंतोमुहत्तं सत्ता लब्भइ / / 39 / / 43 // दारं / / "पयडीओ विचत्ताओ देसं सव्वं हणंति घाईओ। एयासि नियसरूवं सकज्जकरणाओं विन्नेयं // " केवलियनाण १देसण 1 यावरणे बारसाइमकसाया / मिच्छत्त 1 निदपणगं 5 इय वीसं सव्वघाईयो // 40 // 44 // केवलनाणावरणं, केवलदंसणावरणं पढमं कसायबारसगं मिच्छत् निदापणगं च; इय वीसं सबधाईओ // 40 // 44 // सम्मत्तनाणदंसणचरित्तघाइत्तणाउ घाईयो / तस्सेस देसघाइत्तणाउ पुण देसघाईयो // 41 // 45 // मिच्छत्तं अणंताणुवंधिचउक्कं सम्मत्तस्स घाई / केवलनाणावरणं केवलनाणस्स घाई। केवलदसणावरणं केवलदंसणस्स घाई / निद्दापणगं खाओवसमदंसणस्स घाई / बीयकसाया देसविरइयाई / तइयकसाया सव्वविरइचरित्तघाई / "तस्सेस"त्ति, सव्वघाईउव्वरियं तं घाएइ देसघाई। उक्तं च- "सुट्ठु वि मेहसमुदए होइ पहा चंद सुराणं / " तस्स कुदद्विदुगाई आवारगा॥४१॥४५॥ संजलण४नोकसाया 1 चउनाणतिदंसणावरणविग्घा 5 / पणुवीस देसघाई, सेस अघाई सरूवेण // 42 // 46 //