________________ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणे भवति-संपज्जति भावा-जीवपरिणामविसेसा ते य छसंखा समन्निया / तत्थ उवसमिओ 1, खाइओ 2, खओवसमिओ 3, उदइओ 4, पारिणामिओ 5, एए पंचेव जहसंखं दुभेयनवमेय-अट्ठारसभेय-इगवीसभेय-तिभेया होति / छट्ठो पुण सन्निवाओ मेलावओ // 50 // इयाणिं जे सम्मत्ताइगुणा जत्थ भावे संभवंति ते तत्थ दंसेइ सम्मचरणाणि पढमे, बीए वरनाणदंसणचरित्ता / तह दाणलाभभोगोवभोगविरयाणि सम्मं च // 51 // उवसमियं चरितं, उपसमियं सम्मत्त एए पढमे होति / केवलनाणं 1, केवलदरिसणं 1, खाइयं चरणं 1, दाणलद्धी 1, लाभलद्धी 1, भोगलद्धी 1, उवभोगलद्धी 1, वीरियलद्धी 1, एए सव्वक्खएण पंचलद्धीओ, खाइयसम्मत्तं 1, एए बीए खाइयभावे // 51 // चउनाणऽन्नाणतिगं दसणतिगपंचदाणलद्धीओ / सम्मत्त चारित्त च संजमासंजमो तइए // 52 // नाणचउक, अनाणतिगं, दसणतिगं, पंचदाणलद्धीओ, एए देसखएणं, सम्मत्तं, चारित्तं, "संजमासंजमो" त्ति देसविरओ एए तइए खाओवसमियभावे / / 52 / / चउगइचउकसाया लिंगतिगं लेसछक्कमण्णाणं / मिच्छत्तमसिद्धत्त असंजमो चोत्थभावम्मि // 53 // गइचउक्क, कसायचउक्क, वेदतिगं, लेसछक्क, अन्नाणं, मिच्छत्तं, "असिद्धत्तं" ति संसारित्तं "असंजमो" त्ति देसओ सव्वओ वा अनियमो 1, एए चउत्थे उदइयभावे एगवीसं // 53 // पंचमगम्मि य भावे जीवाभवत्तभव्वयाईणि / पंचण्ह वि भावाणं भेया एमेव तेवण्णा // 54 // जीवत्तं भव्वत्तं अभव्यत्तं आइसद्दाओ असंखेयपए सत्ताइया / इयाणि पुव्वभेयाणं संपिंडियाणं संखा निदंसेइ-पंचण्ह वि भावाणं तेवण्णं भेया होति / एवं पुवकम्मेण दोण्हं नवण्हं अट्ठारसहं एगवीसाए तिन्हं च संजोयणेण // 54 // संपयं सन्निवाइयभावे भेए संभविणो असंभविणो य दंसेइउदइयखाओवसमियपरिणामेहिँ चउरो गइचउक्के / खइयजुएहिँ वि चउरो तदभावे उवसमजुएहिं // 55 // ..