________________ 2] सप्ततिकाभिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे ऽवशिष्टमूलगाथासूत्राणि एसो उ बंधसामित्तोघो गइयाइएसु वि तहेव / . ओहाओ साहिजा जत्थ जहा पयडिसम्भावो ॥सूत्रम्-६०।। तित्थयरदेवनिरयाउयं च तिसु तिमु गईसुबोधव्वं / अवसेसा पयडोओ हवंति सव्वासु वि गईसु ॥सूत्रम्-६१॥ पढमकसायचउर्फ दसणतिगसत्तया वि उवसंता / अविरयसम्मत्ताओ जावऽनियटित्ति नायव्वा ।।सूत्रम्-६२।। सत्तट्ट नव य पारस सोलस अट्ठारसेव इगुवीसा। एगाहिदुचउवीसा पणवीसा पायरे जाण ॥सूत्रम्-०॥ सत्तावीसं सुहमे अट्ठावोसं वि मोहपयडीओ / उघसंतवीयरागे उवसंता हुति नायव्वा ॥सूत्रम्-०॥ पढमकसायचउकं एत्तो मिच्छत्समोससम्मत्तं / अविरयसम्मे देसे 'पमत्तअपमत्त खोयंति ॥सूत्रम्-६३।। अनियटिबायरे थीणगिडितिगनिरयतिरियनामाउ / संखिइमे सेसे तप्पाओगा उ खोयंति ॥सूत्रम्-०|| एत्तो हणइ कसायट्टगं पि पच्छा णपुंसगं इत्थी / तो णोकसायछक पि छुहइ संजलणकोहम्मि ॥सूत्रम्-oji पुरिसं कोहे कोहं माणे माणं च छुहइ मायाए / मायं च छुहइ लोभे लोभ मुहम पि तो हणइ ।।सूत्रम्-६४॥ खीणकसायदुचरिमे निइं पयलं च हणइ छउमत्थो। ' आवरणमंतराए छउमत्थो चरिमसमयम्मि सूत्रम्-०॥ संभिन्नं पासंतो लोगमलोगं य सव्वओ सव्वं / तं नथि जंन पासह भूयं भव्वं भविस्सं य ॥सूत्रम्-.॥ देवगइसहगयाओ दुचरिमसमयभषियम्मि खीयंति / सविवागेयरनामा नीयागोयंपि तत्थेव ॥सूत्रम्-६५॥ अन्नयरवेयणिज्ज मणुयाऊ उबगोय नामे य / वेएइ अजोगिजिणो उक्कोस जहन्न एक्कारं ॥सूत्रम्-६६॥ मणुयगइजाइतसपायरं च पजत्तसुभगमाएज्जं / जसकित्ती तित्थयरं नामस्स हवंति नव एया |सूत्रम्-६७॥ . 1. “पमत्तअपमत्तगे य खीयंति" इति पाठः /