________________ सप्ततिकाभिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे पण नव एक्कार छक्क त्ति गयं ॥(इति नरकादिगतिचतुष्के नाम्न उदयस्थानानि) चाणउई अट्ठासी उणनवई निरय तिन्नि संताओ / तिरियगइ पंच संता सामन्नेणं तु इय एवं // (538) . बाणउई अट्ठासी छलसी अत्तरी य चत्तारि / .. तह पंचमिया. आसी अत्तरिवज्ज मणुएसु // (536) मणुयसत्ताठाणा-६३, 62, 86, 88.86, 80, 76, 76, 75, 6, 8 / देवगइ चउर संता तिणवइ बाणवइ तह य अट्ठासी // उणनवई संत भवे इओ(तो) संवेहु एएसु // (540) (तिपंचएक्कारसचउक्कं ति गयं // इति गतिचतुष्के नाम्नः सत्तास्थानानि) (अथ गतिमार्गणाचतुष्के नाम्नो बन्धोदयसत्तास्थानसंवेधः) . उणतीसे बंधम्मी पंचसु उदएसु निरय दुगसंतं / बाणवई अट्ठासी तिरिजुग्गे संतया दस उ // (541) तह तीसे उज्जोए उणतीसे तह य मणुयजुग्गम्मि / दस दस संतवाणा उणनवई दोसु पणपणगं || (542) तिन्थयरसंतकम्मी मिच्छद्दिट्ठी उ अंतमुहुकालं / उणतीसबंध संतं उणनवइ नेरइयउदएसु // (543). तह तीसवंधि एवं सम्मट्ठिी उ निरयवंधेसु / .. आयमचउअंतमुहू चरिमे निरयाइयं संतं // 144). इय संवेहो वुत्तो नारयवंधुदयसंत चालीसं / तिरियगई संवेहो इय अणुसारेण वोच्छामि // (545) बंधठाणे 26, उदएसु संतठाणा तु एवं सव्वा 25 // |बंधठाणे 30, उदएसुसंतठाणा उदयठाणा 21 | 25 27 28 | 2 | 21 | 25 | 27 , 28 | 26 सगलतिरिजुग्गे 2 62 | 62 | 62 62 | 2 | 62/63 |8222 मणुयगइजुग्गे 2 | 2 | 2 | 2 | 2 |89 | 86 | 89 | 86 | 8E तित्थयरसंतकम्मी | 1 | 1 | 1 | 1 | 1 | एवं सम्वेवि 15|| तिरियगइसंवेहो भन्नइपणवंधा हिट्ठसमा बंधे बंधे य नव उदयठाणा / आइमचउ पणसंता चरिमा नियमा उ चउसंता || (546) ठवणा