________________ 66 ] सप्ततिकामिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे 'ठवणा गुणठाणा - मि. सा. मी. अवि. / देस. लेसा - 6 6 6 / 6 / 3 लेसापया - 1152 576, 576 | 1152 576 लेसापयदंडा- 9792 4608 4608 8640 3744 स.ठा.संख्या / 3 / 1 / 3 / 5 / 5 | 21,21, | 22.21, सत्ताठाणा -28,27,26, 28 28,27,24 28,2,3 पमत्त / अप० / अपु० | अनि० | सु. उ. . |मञ्चसंख० 11-(297 1 -38237 | 3198 | 3168 | 480 | 28 / 28.24,2328,2423/ 28,24 28.04.21 28,24/28.24,21 22,21, 22,21, 21. 13,50.5121,1 |5.5.3.2, गुणस्थानकेषु मोहनीयसत्तास्थानानि गुणठाणगेसु सत्तासंग्वामाहतिन्नेगें एगेगं तिगमिस्से पच चउसु तिगपुवे / एक्कारवायरम्मी सुहुमे चउ तिनि उवसंते ॥सू.-४८॥ (531) [390] तिन्नेगे एगेगं गाहा पुव्वभणिया सत्तट्टाणा उ मोहे गुणट्ठाणमासज्जइयाणि नामस्स भन्नइ गुणस्थानकेषु नाम्नो बन्धोदयसत्तास्थानानिछन्नवछक्कं, तिगसत्तदुगं दुगतिगदुग, तिगहचऊ / दुगछच्चउ दुगपणचउ चउदुगचउ पणगएगचऊ ।।म.-४९।। (432) [391] एगेगमह एगेगमट्ट छउमत्यकेवालजिणाणं / एगं चउ एमं चउ अट्ट चउ दुलक्कमुदयसा ।स.-५०। (133) [362] एएसिं विवरणं भण्णइ- . रिप्रेमकोप्यां नास्ति। 1 इदं यन्त्रं L. D. प्रतावस्ति, J प्रतिप्रेमकाप्यां नास्ति : 'लय : 3 "मोहमासज" इति L. D. प्रतौ। 4 "जंतइय” इति L ता .