________________ जीवस्थानेषु मोहनीयनाम्नोर्बन्धोदयसत्तास्थानानि तद्भङ्गाश्च [45 सत्तेव अपज्जत्ता सामी 'महुमो व बायरो चेव / विगलिंदिया उ तिनि य तह य असन्नीय सन्नी य ।।सू.-२८|| (300)[277] ____ पणदुगपणगंति एएसिं विवरणं // पणबंधट्टाणा ते य इमेतिग२३पणवीस २५छवीसा२६गुणतीसा२९तीस३०बंधठाणा उ / पढमम्मि जीवठाणे इय नेयं जाव तेरससु // 220 // [278] पढमम्मि जीवठाणे इय णेयं जाव सत्तसु य / (301) भंगा इह मिच्छसमा चारणाहिट्ठा उ कया // चउ 4 पणवीसा 25 सोलस 16 बाणवइसया वि हुँति चालीसा 9240 छायालं बत्तीसा 4632 सत्तअपज्जेसु पत्तेयं / / (302) : अमणम्मी पज्जत्ते “छद्धा अडवीसबंधिमागच्छे / सन्नी पज्जत्ते पुण अट्ठव य होति पुव्वुत्ता // 241 // [276] भंगा इह पुव्वुत्ता सव्वत्थ वि जीवठाणबंधेसु / पत्तेयं जोइज्जा जे जत्थ व होंति संभविया // 242 / / .. [280] इगचउवीसेगिदिसु 21 / 24 छवीसइगवीस 26 / 21 पंचसु तसेसु / , . दो दो उदयअपज्जे[स] भंगा सव्वे वि पंचंसा // 243 / / (303) [281] इगवीसे दो भंगा बायरसुहुमेहि 'एक्कइक्केण / 'बायरपत्तेगियरे चउरो चउवीसि अजसेण // 244 // (304) [282] अप्पज्जपणतसाणं सव्वासुभपगइमिलिय मेक्केक्कं / इगवीसे छब्बीसे पण पण पत्तेय दुण्हं पि // 245 / / (305) [283] नवरं मणुयअपज्जे भंगा चउ चउरसंतकम्मंसा / अडत्तरी न तेसि सेसा चत्तारि संभविया // 246 // (306) [284] एत्थ अपज्जत्ताणं असन्निसन्नीण भंगया दो दो / इगवीसे छव्वीसे मणुजोगे चउरए हुति // 247 // [285] पणचउपणगं सुहमे बंधे भंगा अपजसमसब्वे / उदएसु पुण भंगा चउसु वि उदएसु पत्तेयं // (310) . 1 "तहं सुहमबायरा चेव” इत्यपि, "सुहमा य बायरा चेव' इत्यपि, "सुहुमो य बायरो चेव" इत्यपि, वा पाठः / 2 अयं पाठः L. D. प्रतावस्ति, J. प्रतिप्रेसकोप्यां नास्ति / 3 "छट्ठा" इति वा / 4 "पणसंता / / (303)" इति L. D. प्रतौ। 5 "एकमेक्केण" इति L D. प्रतौ / 6 "तह पत्तेगियरेहिं . दो दो” इति L. D. प्रतौ / 7 “एक्कोको" इति L. D. प्रतौ। "भंगा उ" इति L. D. प्रतौ / .