________________ जीवस्थानेषु ज्ञानावरणादिकर्मबन्धोदयसत्तास्थानमङ्गाः 'सन्निपजत्तगस्स ठवणा ___बंधो | नीय० | नीय० | नोय० | उच्च | उच्च | . उदभो | नीय० | नीय० उच्च० | नीय | उच्च | उच्च | उच्च सत्ता नीय० | 2 | 2 2 2 2 / 1 सण्णिम्मि सत्त भंगा पढमो कह जेण तेउवाऊणं / भण्णइ पढमुश्ववण्णे तेहिंतो तिरियसण्णिम्मि // 224 // (276) [258] . जीवस्थानेष्वायुषो बन्धादिस्थानभङ्गाः पज्जत्ता-ऽपज्जत्रागसमणे पज्जरासमण-सेसेसु / अट्ठावीसं दसगं नवगं पणगं च आउस्स |सू.- 0 // (277) [256] सण्णिअपज्जमणुतिरिय मणुतिरिजोगं च आउ बंधंति / "एक्कक्कु बंधपुत्वे बंधु४त्तर४ चउर इय दसओ // 225 // (278) [260] सन्नी पज्जे भंगा अडवीसं पुव्ववुत्त आउम्मि / पज्जाऽमण तिरियसमा पण "इक्कारे य 5 देवसमा // 226 // (27) [261] | 11 जीवठा० 'ठवणा प० असं० भप० सं० प० सं० जीवस्थानेषु मोहनीयबन्धादिस्थानभङ्गाःअट्ठसु पंचसु एगे एगदुगं दस य मोहबंधगए / तियचउनवउदयगए तिग तिग पण्णरससंतम्मि ॥सू.-३६॥ (280) [262] . 1.6 इदं यन्त्रं L. D. प्रतावस्ति, J. प्रतिप्रेसकोप्यां नास्ति, २'भन्नई" इति L. D. प्रतौ / 3 "वषन्ने” इति L. D. प्रतौ / 4 “एगो अबंधपुव्वे" इति J. प्रतिप्रेसकोप्याम् / 5 “एकारे" इति L. D. प्रतौ।