________________ एगिदिय | 34 ] सप्ततिकामिवे षष्ठे कर्मग्रन्थे (१)इगि (२)विगल(३)सगलतिरिए पणतीसा तिन्नि सव्वे वि 335 // 201 // (245) [230 . 'ठवणा | उदय 21 | 24 25 26 | सव्वे भंगा | | सू० अप० 1 2 3 | सू० 50 1 2 | 1 | 1 | 5 | 16 बा अ० 1 2 3 | बा. प० | 2 | 4 | 1 | 1 वि०अप० 3 3 | 6 | 18 वि०प०६ / / 12 / पंति अप० 1 पं०ति०प० | 8 | 18 | सत्ताठा० 5 | 5 | 5 | 5 | 20.335 / सेसा उ सव्वभंगा अत्तरिसंतबज्जिया नेया / / चउगइ जियसंभविया 7456 पणसंतहाण पुण एए // 202 // (246) [231] बाणउई अट्ठासी, अद्वत्तरि असि य होइ 'छासीइ / चउपढमेसुदएसु अत्तरिवज्ज सेसेसु // 203 / (247) [232] इय एवं संवेहो बंधट्ठाणेसु पंचसु वि भणिओ / नव पंच उदयसंता वुत्ता सेसं च 'वोच्छामिः // 204 // (248) [233] नव पंच उदय संतगाण 2 . | बंधट्ठाणा | 23 25 | 26 / 26 | 30 उदयट्ठाणा | | 9 | | संतढाणा 4040 | 40, 4040 विगल० | पणिदिति० ठवणा 1 इदं यन्त्रं L. D. प्रतावस्ति / J. प्रतिप्रेसकोप्यां नास्ति। 2 “सेसा अत्तरि संतवज्जिया भंगा 7456 // इय एव सव्वभंगा अत्तरिसंतवजिया नेया" / इति J. प्रतिप्रेसकोप्याम् / 3 "छासीया" इति L. D. प्रतौ। 4 "वुच्छामि" इति L. D. प्रतौ /