________________ ठवणा सप्ततिकामिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे नीउच्च बंधुदए, विगप्प चत्तारि दोहिं संतेहिं / बंधोवरमे उच्चस्स उदय दो-एक्कसंताओ // 18 // (38) [26]] | बंधो नीयं नीयं नीयं उच्चं उच्चं . | 0 | उदओ नीयं | नीयं उच्चं नीयं उच्चं उच्चं उच्च | सत्ता नीयं 2 | 2 | 2 | 2 | 2 |उच्चं सायाऽसाये दोसु', 'चउभंगा बंध-उदइ दुदु संता / बंधोवरमे चउरो, संता दुसु दोन्नि दुसु एगं // 16 / (31) [27] | बंधो अमा असा- सायं * * * * | उदओ असा सायं असा सायं असा सायं अमा सायं | सत्ता 2 2 2 2 2 2 11 | एगो अ बंधपुव्वे, बंधे बंधुत्तरे य चउ चउरो / नरतिरियाणं आउयचउक्कबंधुदय-संतेहिं // 20 // (32) [28] सुर-नरयाणं पण पण, बंधे बंधुत्तरे य दो दुन्नि / जम्हा न तेसिँ बंधो, सुर-निरयाऊण संभवइ / / 22 / / (33) -[29] ठवणा . ठवणा / देवाणं भंगा / मणुयाणं भंगा / तिरियाणं भंगा नेरइयाणं भंगा / उद. दे दे. दे दे दे. म. |म म. म. म. म. म. म. म. ति.ति ति.नि.ति.ति. तितिति.नि.नि नि.नि.नि मोहनीयस्योत्तरप्रकृतीनां बन्धस्थानानि दश - बावीस एक्कवीसा, सत्तरसा तेरसेव नव पंच / चउतिगदुगं च एक्कं, बंध ठाणाणि मोहस्स।।सू०-१०|| 34) [30] 1 "चउभंगो' इति J0 प्रतिप्रेसकोप्याम् / २“ढाणाइ" इति L. D. प्रतौ।