________________ // ॐ नमो वीतरागाय // // ॐ ह्री श्री अहं श्रीशंखेश्वरपार्श्वनाथाय नमः / / न्यायाम्भोनिधिश्रीमद्विजयानन्दसूरीश्वरपाइपद्मेभ्यो नमः / सद्धर्मसंरक्षकश्रीमदाचार्यविजयकमलसूरीश्वरपादपद्मेभ्यो नमः / / सकलागमरहस्यवेदिश्रीमदाचार्यविजयदानसूरीश्वरेभ्यो नमः / / कर्मसाहित्यनिष्णातश्रीमदाचार्यविजयप्रेमसूरीश्वरेभ्यो नमः / / परमगीतार्थश्रीमदाचार्यविजयहीरसूरीश्वरेभ्यो नमः / / 'श्रीमच्चिरन्तनाचार्यप्रणीता . * सप्ततिका * ___(सित्तरी) "श्रीमद्रामदेवगणिना कृतेन टिप्पनकेन समलङ कृता" सिद्धपएहि महत्थं बन्धोदयसंतपगउिठाणाणं / वोच्छं सुण संखेवं निस्संदं दिडिवायस्स // 0-1 // (1)2 कह बंधतो वेयइ कइ कइ वा पगउिठाणकम्मंसा / मूलुत्तरपयडीसु भंगविगप्पा घोडव्या ॥सू०-२।। (2) सुगइगमसरलसरणिं, वीरं नमिऊण मोहतमतरणिं / सत्तरिएटिप्पेमी, किंची चुन्नीउ अणुसरिउ // 1 // (3) [2] संखेवा भंगाणं, सुमरणहेउ तह पगडिठाणाणं / पत्तेयं पगडीणं, नामग्गाहं च काहामि // 2 // (4) [2] आउसमं अट्ठ भवे, आउविहूणा य सत्त बंधम्मि / मोहणियाऽऽउविणा छ उ, एगो वेयणियबंधो उ // 3 // (5) [3] अठ्ठदओ बहुयागं, मोहं मोत्तूण केसि सत्तुदओ। घाइविहूणा चउरो, तह सत्ताए वि तियठाणा // 4 // (6) [4] 1 अज्ञातनामानार्यरचिता इत्यर्थः, न पुनश्चिरन्तनामिधाचार्यविहिता इति / 2 ( ) एतचिचहान्तगंतगाथाक्रमः ससूत्रक: L. D. (लालभाइ दलपतभाइ विद्यामंदिर) प्रत्यनुसारी / सूबरहितगाथाक्रमः पुनःJ. (जेसलमेर) प्रतिप्रेसकोप्यपेक्षः / 3 / ] एतचिह्नान्तर्गतगाथाक्रमः ससूत्रका J. प्रतिप्रेसकोप्यधिकाः / 4 "संखेवेणं इत्यति।