________________ गुणस्थानेषु मूलोत्तरबन्धहे तव ओघतो गुण थानेषु च मूल कर्मबन्धोदयो दीरण सत्तास्थानानि 33 भणिया गुणट्ठाणगेसु बंधहेऊणं उत्तरभेया / बंधहेऊहिं पुणं कम्मं बज्झइ, अओ तस्स नामाणि संखं च निदंसेइ तो नाणदंसणावरणवेयणीयाणि मोहणिज्जं च / / आउयनामं गोयंतरायमिय अट्ठ कम्माणि / / 78 // (राम०) कंठा / एएसि कम्मरणं बंधो हवइ बंधे कडे सति उदयाइणा वि भवितव्यम् / जओ बुतं"बंधस्सुदयो उदए उदीरणा 'तदवसेसयं संतं / तम्हा बंधविहाणे, भन्नंते इइ मणेयध्वं / // 7 // अओ बंधस्स उदयस्स उदीरणा संतस्स वि ठाणाणि गुणठामगेसु दंसेइ सत्तट्ठछेगबन्धा सन्तुदया अट्ट सत्त चत्तारि। सत्तट्टछपंचदुगं तुदीरणाठाणसंखेयं // 79 // (राम०) पुव्यमेव जीवट्ठाणेसु बंधोदओदीरणसंताणं ठाणाणि वक्खाणियाणि / तमेव वक्राणं इत्थ दट्ठव्वं // 79 // . मिच्छट्ठिपभीईणं बंधाणपमाणमाह अपमत्तंता सत्तट्ठ मीसअप्पुव्वबायरा सत्त / बन्धंति छ सुहुमा एगमुवरिमाऽबन्धगोऽजोगी // 8 // (राम०) मिच्छदिहिसासणअविरयदेसविरयपमत्तअपमत्तेसु एएसु छसु ठाणेसु - * अट्ठविहबंधगा अहवा आउयं मोत्तु सचविहवंधगा / तहा सम्मामिच्छट्ठिी अपुवकरणअनियट्टिकरणा आउयं मोत्तूण सत्तविहबंधमा / सुहुमसंपराया मोहाउयं मोत्तूण छविहवंधगा। उबसंतखीगमोहसजोगिकेवली. एगविहवेयणियबंधगा। अबंधगो अजोगी / / 80 // मिच्छदिपिभिईणं उदयसत्ताट्ठाणपमाणमाह जा सुहुमो ता अट्ट वि उदये संते य हुन्ति पयडीओ। सप्तऽट्ट व संते खीणि सत्त चत्तारि सेसेसु // 1 // (राम०) मिच्छद्दिट्ठीउ जाब सुहुमसंपराओ ताच उदए संते क अट्ठ कम्माणि / उवसंते उदए सत्त, मोहं मोत्तूणः सत्ताए अट्ठ कम्माणि / खीणमोहे उदए सत्ताए य मोहं मोत्तूण सत्त कम्माणि / सजोगिअजोगिकेवलीणं उदए सत्ताए य चत्तारि चत्तारि कम्मर अधाइणो // 1 // 1 वाम्यां विरहितम्” इति टिप्पणनकम् /