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________________ 361 .. पंडशीतिनाम्नि चतुर्थे कर्मग्रन्थे सुहुमपरिहारअहखायछेयसामइयदेसजयअजया / थोवा संखेजगुणा चउरो असंखणन्तगुणा // 59 // (राम०) सव्वथोवा सुहुमसंपरायचारित्ती, जेण उवसामग खवगा सुहुमलोभकिट्टिवेयगा धिप्पंति 1, तो संखेयगुंणा परिहारविसुद्धीया, जओ विसिहतवपडिवनगा भरहेरवयदससु खिचेसु चरिमाइमतित्थयरतित्थेसु नवकगणट्ठिया धिप्पति 2, तओ अहक्खायचारित्ती संखेजगुणा, जओ उवसंतखीणमोहे केवली य सब्वे भवत्था धिप्पंति 3, तओ छेओवट्ठावणियचारित्ती संखेजगुणा, जओ पंचभरहे पंचएरवये पढमंतिमतित्थयरतित्थडिया छेओवट्ठावणि. यचारित्तपडिवन्ना धिप्पंति 4, तओ संखगुणा सामाइयचारित्ती, जओ भरहएरवयमहाविदेहेसु सामाइयचारित्तट्ठिया धिप्पंति 5, देसविरया असंखेजगुणा, जओ तिरिएसु देसविरई अत्थि 6, तो अविरया अणंतगुणा, जओ सव्वे एगिदियादओ धेप्पंति, / दारं // 59 // इय ओहिचक्खुकेवलअचक्खुदंसी कमेण विन्नेया। थोवा अस्संखगुणा अणन्तगुणिया अणन्तगुणा // 6 // (राम०) सव्वथोवा ओहिंदंसी 1, चक्खुदंसी असंखगुणा 2, केवलदंसी अणंतगुणा 3, सिद्धाणं पि दंसणमत्थित्ति / अचक्खुदंसी अणंतगुणा 4, एगिदियाणं पि गहणाओ। दारं // 6 // सुक्का पम्हा तेऊ काऊ नीला य किण्हलेमा य / थोवा दो संखगुणाऽणन्तगुणा दो विससहिया // 61 // (राम०) सव्वथोवा सुक्कलेसा 1, पम्हलेसा संखेयगुणा 2, तेउलेसा संखेयगुणा 3, तओ काउलेसा अणंतगुणा 4, जओ एगिंदियादओ धेप्पंति, तओ नीललेसा विसेसाहिया 5, किण्हलेसा विसेसाहिया 6 / दारं // 61 / / थोवा जहण्णजुत्ताऽणतयतुल्ल त्ति इह अभव्वजिया / तेहिंतोऽणंतगुणा भव्वा निव्वाणगमणरिहा // 2 // (राम०) सव्वथोवा अभव्वा, ते य जहन्न जुत्ताणतयं, नवविहस्स अणंतस्स चउत्थं, तेण तुल्लासमा इह अप्पबहुत्ते, तेहिंतो भव्वा अणंतगुणा, केरिसा भव्वा ? आह-'निव्वाण गमणरिह' त्ति निव्याणं मोक्खो तत्थ गमणं अरिहंति जोग्गा हुँति / जे ते निव्वाण गमणारिहा / दारं / // 62 //
SR No.004404
Book TitleKarmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeershekharvijay
PublisherBharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
Publication Year1974
Total Pages716
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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