________________ मार्गणास्थानेषु योगा उपयोगाश्च [17 परिहारे सुहुमे नव उरलवइमणा सकम्मुरलमिस्सा।। अहखाए सविउव्वा मीसे देसे सविउवदुगा // 40 // (राम०) परिहारविसुद्धीए सुहुमसंपराए य नव नव जोगा मणचउक्कं वइचउक्कं ओरालियसरीरं च / ते य नवजोगा अहक्खाए ओरालियमीसकम्मगसरीरेण सह एक्कारस हवंति / अहक्रवाए चारिने चत्तारि गुणट्ठाणा / तत्थ अजोगी अजोगो। उवसंतमोहखीणमोहे पड्डुच्च नव नव जोगा ।सजोगिकेवलिस्स केवलनाणभणिया सजोगे सत्त पुव्वुत्ता मिलिया अहक्खाए एकारस / ते नव पुव्वुत्ता वेउब्वियसरीरेण दस जोगा मीसे / नव पुव्वत्ता वेउव्वियदुगेण एक्कारस जोगा देसविरयस्स / 40|| कम्मुरलविउव्वदुगाणि चरम भामा य छ उ असन्निम्मि। जोगा अकम्मगाहारगेसु कम्मणमणाहारे // 41 // (राम०) कम्मगं ओरालियदुगं वेउव्वियदुगं असच्चमोसा भासा य छ जोगा असन्निस्स / जओ सब्वे असन्निपंचिंदियविगलिं 'दियादओ असन्निगहणेण गहिया। जोगा चउदस आहारगस्स कम्मइगविणा / अणाहारंगे एगो कम्मणजोगो / मग्गणठाणेसु जोगा मग्गिया // 41 // इयाणि उवओगा मग्गिज्जति / अओ पढमं ते चेव निदंसेइनाणं पंचविहं तह अन्नाणतिगं ति अट्ठ सागारा। चउदंसणमणगारा बारस जियलक्खणुवओगा // 42 // (राम०) पंच नाणाणि, तिन्नि अन्नाणाणि, एए अट्ट सागरोवओगा। चत्तारि दंसणाणि अणागारोवओगा / एवं बारस / एए जीवस्स लक्खणं जीवावबोहस्स कारणं, एएहिं जीवो जाणिज्जइ त्ति जीवलक्खणुवओगा // 42 // मणुयगईए बारस मणकेवलदुरहिया नवऽन्नासु / थावरहगबितिइंदिसु अचक्खुदंसणमनाणदुगं // 43 // (राम०) मणुस्सगईए बारस वि उवओगा। जओ सव्वेसि संभवो / मणपज्जवनाणकेवलदुगवज्जिया नव अण्णासु तिसु गईसु / एएसि तिहं उवओगाणं असंभवाओ / थावरकाया पंच, एगिदिय-बेइंदिय तेइंदियाण य, एएसिं अट्ठण्हं दाराणं तिनि उवओगा-अचक्खुदंसणं मइअण्णाणं सुयअन्नाणं च // 43 // १०दिय-एगिदिया असन्नि" इत्यपि /