________________ t] जीवस्थानेषु मार्गणास्थानानि बन्धहेतवो बन्धस्थानानि च तथौधतो मूलोत्तरमार्गणास्थानानि 'अद्धावलियासेसे सत्त उदीरिति आउकम्मविणा। वेयणियाऽऽउ विणा छ उ, मोहविहूणा उ पंचेव॥ दो चेव नाम-गोए, उदीरणाठाण होंति पंचेव / ओघेण ठाणसंखा, सन्नीपज्जत्तए होइ // " // 12 // भणियाणि जीवट्ठाणेसु गुणट्ठाणाईणि / इयाणिं मग्गणाठाणेसु जीवट्ठाणाईणि दंसेउं मग्गणाठाणाणि ताव दंसेइ एत्तो गइइंदियकायजोयवेए कसायनाणेसु / संजमदंसणलेसा भवसम्मे सनिआहारे // 12 // (राम०) संपयं सयमेव सुत्तकारो इमां दारगाहां विवरेइ सुरनरतिरिनिरयगई इगि-बि-ति-चउरिंदिया य पंचेंदी / पुढवी आऊ तेऊ वाऊ वणसइतसा काया // 13 // (राम०) देवगई मणुयगई तिरियगई निरयगई 4 दारं / एगिदियं बेइंदियं तेइंदियं चउरिदियं पंचिंदियं 5 दारं / पुढवी आऊ तेऊ वाऊ वणस्सइतसा काया 6 दारं // 13 // मणवइकाया जोगा इत्थी पुरिसो नपुंसगो वेया। कोहो माणो माया लोभी चउरो कसायत्ति // 14 // (राम०) मणजोगो वइजोगो कायजोगो 3 दारं / इत्थिवेओ पुरिसवेओ नपुंसगवेओ 3 दारं / कोहो माणो माया लोभो 4 दारं // 14 // मइसुयओहीमणकेवलाणि मइसुयअनाणविभंगा। . सामइयछेयपरिहारसुहुमअहखायदेसजइअजया // 15 // (राम०) मइनाणं सुयनाणं ओहिनाणं मणपज्जवनाणं केवलनाणं मइअन्नाणं सुयअन्नाणं विभंगनाणं 8 दारं / सामाइयं छेओवट्ठावणियं परिहारविसुद्धियं सुहुमसंपरायं अहक्खायं देसविरओ अविरओ 7 दारं // 1 // अक्खु-चक्खु-ओही-केवलदसणमओ य छल्लेसा / किण्हा नीला काऊ तेऊ पम्हा य सुक्का य // 16 // (राम०) अचखुदरिसणं चक्खुदरिसणं ओहिदरिसणं केवलदरिसणं 4 दारं / किण्हलेसा नीललेसा काउलेसा तेउलेसा पम्हलेसा सुक्कलेसा 6 दारं // 16 // 1 "अप्पप्पणो आठगअद्धाए आवलियसेसे सत्त उदीरंति, कम्हा ? आउगं आवलियागयं न उदीरति त्ति . काउं।" इति प्रत्यन्तरे टिप्पनकम् // .