________________ प्रकाशकीय निवेदन इस ग्रन्थ के शुद्धिपत्रक के सहायक प. पू. आगमप्रज्ञ आचार्यदेव श्रीमद् विजयजम्बूसूरीश्वरजी म सा. तथा प. पू. मु. वीरशेखरविजयजी म. सा. और महेसाणा के प्राध्यापक पुखराजभाई तथा वसतभाई आदि का हार्दिक आभार मानते हैं। ____ जेसलमेर की प्रति के साथ मिलाई हुी प्राचीन चार कर्मग्रन्थ की प्रति को जिन्होंने इस कार्य के लिये भेजी वह पू. आगमप्रभाकर मुनिराजश्री पुण्यविजयजी म. सा. का हार्दिक उपकार एवं आभार मानते हुओ हमें बडा गर्व और आनन्द होता है / यशोभद्रसूरि कृत टीका से युक्त षडशीति प्रकरण की हस्तलिखित प्रत को जिन्होंने बडौदा के प्रवर्तक श्री कांतिविजयजी शास्त्रसंग्रह" नाम के इन ज्ञान भण्डार में से कोशिश कर भिजवायी वह पू. मुनिराजश्री भुवनचन्द्रविजयजी म. सा. का और इस ज्ञान भण्डार के कार्यवाहकों का, श्री यशोभद्रसूरिकृत टीका से युक्त और श्री रामदेवगणिविहित टीका से युक्त षडशीति प्रकरण की दो प्रेस कॉपियां तथा श्रीरामदेवगणि की बनवायी हुभी सप्ततिकाटिप्पणी और सूक्ष्मार्थविचारसार टिप्पणी की प्रेस कापीयां डभोई के "श्री जम्बूस्वामि जंन मुक्ताबाई आगममंदिर" नाम ज्ञान भण्डार के लिए तैयार की हुी जिन्हों ने इस कार्य के लिये भीजवायी उन पूज्य आगमप्रज्ञ आचार्यदेव श्रीमद् विजयजम्बूसूरि. म सा. का हृदय पूर्वक उपकार और आभार मानते हैं। प्राचीन छः कर्मग्रन्थ की मूलगाथा एवं द्वितीय-चतुर्थादि प्राचीन कर्मग्रन्थ की भाष्यगाथा-सूक्ष्मार्थसारप्रकरण की मूलगाथा हस्तलिखितपत को इस कार्य के लिये भेजने वाले लालभाई दलपतमाई विद्यामंदिर के कार्यवाहकों का तथा श्रीरामदेवगणि की ही रची हुी विभिन्नप्रकार की टिप्पणि की हस्तलिखित प्रत और सूक्ष्मार्थविचारसार प्रकरणवृत्ति की फोटोकोपी के लिए सुविधा करवानेवाले * भोजक अमृतलालभाई का एवं इन सब प्रत्यादिकी प्राप्ति करवाने में सहाय करने वाले पू मुनिराजश्री जयघोषविजयजी म. सा. तथा पू. मुनिराजश्री धर्मानन्दविजयजी म. सा. का भी हार्दिक उपकार मानते हैं / बडौदा भण्डार की हस्तलिखित प्रति पर से केवल श्रुतमक्ति से प्रेरित होकर प्रेस कोपी की नकल बनाने वाले मंडवाडिया निवासी श्रीमान् खेमचंद मूलचंदजी का आभार मानते है। डभोई के भण्डार के लिये तैयार की हुमी रामदेवगणि कृत टीका से युक्त षडशीति प्रकरण प्रेस कॉपी की नकल करने कराने वाले देलंदर निवासी सदगृहस्थों का भी हम आभार मानते है / 'प्रफ रीडींग' सहायक महेसाणा वाले मास्टर चम्पकलाल का तथा मुद्रण कार्य को आत्मीयता तथा तेजी से करने वाले ज्ञानोदय प्रिन्टींग प्रेस - पिंडवाडा के व्यवस्थापक ब्यावर निवासी श्रीमान फतहचन्दजी जैन (हालावाले) एवं उनके सहयोगी कर्मचारीगण की निष्ठा एवं तत्परता के कारण उनकी स्मृति सदा सराहनीय बनी रहेगी। द्रव्य सहायक : सूचित करते अत्यन्त हर्ष होता है कि इस ग्रन्थरत्न के मुद्रण-व्यय में 5000) पाटी जैन उपाश्रय सादडी के साधारण खाते में सादडी निवासी शा पुखराजजी होराचंदजी ने अर्पण कर वहां के ज्ञान खाते से यह रकम हमारी संस्था को अर्पण करवाई तथा 5000) पिंडवाडा निवासी शा लालचन्दजी छगनलालजी ने अर्पण कर श्रुत-भक्ति का अपूर्व लाम लिया। . इन दोनों द्रव्य-सहायकों ने स्व. पुण्यानुमाव से विपुल लक्ष्मी उपार्जित की और धर्म क्षेत्र में मी ठीक प्रमाण से व्यय कर उसे सार्थक की है। जैसे पुखराजजी ने प्रसिद्ध-तीर्थ राणकपुर में परमपूज्य