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________________ 32] [जीवनपति अन्तिम चातुर्मासप्रवेश / लेवा ओक वृक्ष नीचे बेसाड्या. आराम करवाथी पण समय पोतानी काळखंजरी बजावतो चाल्यो छातीनो दुःखावो शान्त न थयो. बल्के वधतो ज रह्यो. जतो हतो. जोत जोतामां वि० सं० 2000 नी जेठ वद | सूरिजीओ जल्दी उपाश्रये पहोंचवा आत्मबळथी चालवा दशमनी रात्रि पसार थई गई. जेठ वद 11 नो प्रभात मांड्यं. जेम तेम करीने उपाश्रयना बजार बाजुना खीलवानी तयारी ती नीरव बनेपी शान्तिकोपीन ओटला सुधी तेओ आवी पहोंच्या. छातीनो द:खावो धीमे भंग थतो गयो. आ समये वढ़वाण केम्पमां अक | वधतो ज रह्यो. उपाश्रयमा रहेला मुनिओने खबर तरफ वृक्षो उपर बेठेला पक्षीओ ऊषादेवीना स्वागतनी पडतां तेओ तुरत त्यां आवी पहोंच्या. सेवाभावी तैयारी करवा लाग्या, अने बीजी तरफ जैन जनता मुनिओओ त्यां ओटला उपर ज शय्या पाथरीने पूज्यअक सूरिदेवना स्वागतनी तैयारी करवा लागी. प्रभात श्रीन सुवाड्या. आ वात गाममा वायुद श्रीने सुवाड्या. आ वात गाममां वायुवेगे प्रसरी गई. खील्यु अने थोडी ज वारमा सूर्यनारायण पण रथमां | श्रावकवर्ग घणा प्रमाणमां हाजर थई गयो. पू० पं०श्री बेशीने आवी गया. सूरिदेवना स्वागत माटे शणगार धर्मविजयजी गणिवर (हाल उपाध्याय) तथा पू. वामां आवेल सुरेन्द्रनगर सुरेन्द्रनगरनी स्मृति | माणेक वि० म. वगेरे मुनिपुगयों औषध माटे करावतु हतु. समय थतां लोको चातुर्मास माटे | व्यवस्था करावी. आ मुनिर्योनी तेम ज श्रावकवर्गनी पधारता प० आचार्य श्रीक्षमाभद्रसूरिजी म. न विनातथी पूज्यश्री डोक्टरे आपल औषधनु सेवन स्वागत करवा माटे चाल्या. उत्साह पूर्वक पज्य | कयु. आचार्यश्रीनो नगर प्रवेश थयो. बाद पूज्यश्रीओ प्रवचन छतां आराम थवानी वात दूर रही, पण आप्यु. दररोजना व्याख्यान माटे जाहेरात थई गई. छातीनो दुःखावो वधतो ज गयो. शरीर धीमे धीमे जीवनज्योत बुझाई गई | ठंडु पडवा लाग्यु. आथी संघना हैयामां चिंतानी जगतना जन्तुओ उपर यम राजा पोतानी | : ही चिनगारी प्रगटी. पूज्यश्री चिंतातुर बनेल संघने कारमी सत्ता चलावी रह्यो छे. से नथी जोतो तवंगरने | " | पोतानु स्वास्थ्य थोडीज वारमा शान्त थशे अम के नथी जोतो गरीबने. अनथी गणकारतो राजाने | कहीने निश्चित रहेवा माटे जणाव्यु . खरेखर ! महाके नथी गणकारतो राजेन्द्रने. ओ नथी ख्याल राखतो | " पुरुषोनी संयमसाधना प्रबळ होय छे. तेथी ज ज्यारे वयनो के नथी ख्याल राखतो आजुबाजुनी परिस्थि- 4 मनुष्यलोकमांथी विदाय थवानी यमराजानी घंटडी तिनो. से नथी छोडतो सेवकने के नथी छोडतो वागती होय छे त्यारे पण से महापुरुषो निश्चिंततानी स्वामीने. सर्वना उपर अक सरखी पोतानी अफर आण | | मधुर बंसरी बजावता होय छे. पूज्याचार्यश्रीनी प्रवर्तावी रह्यो छे. आ यम राजामे जाणे पू० आ० श्री अद्भूत धैर्यता अने निश्चितता "महापुरुषोने मृत्यु क्षमाभद्रसूरिजी म. नी कीर्ति-प्रतिष्ठा तेनाथी सहन महोत्सवरूप बने छ” से वाणीनी स्मृति करावती इती. न थई शकी होय तेम तेमना उपर दृष्टिपात को. आ वखते तेमनो आत्मा नमो अरिहंतारणं.............. ..................."चत्तारि मंगलं................ अषाड सुद अकमनुप्रभात थयु. प्रातःकालनी प्रतिलेखनादि आवश्यक क्रियाओ करीने प. आ० खामेमि सव्वजीवे..............वगेरेनी मंगल ध्वनिना श्रीक्षमाभद्रसूरिजी म. मुनिवर्य श्रीलाभ वि० म. ने | . श्रवणमा अने ध्यानमा लीन बनी गयो. दीपक छेल्ली साथे लईने स्थंडिल भूमि गया. स्थंडिल भूमिथी 1 | वार झबकारो मारी बुझाई जाय तेम से जीवनपति पाछा फरता हजो तो मात्र अ? ज पंथ पसार थयो | महापुरुषनी आंखो छेल्लीवार चमकीने सदाने माटे इतो, तेटलामा अचानक तेमना संयमदेहे तकलीफ | | मींचाई गई. आम अकाओक महापुरुषनी जीवन खडी थई. छातीमां दुःखावो शरू थई गयो. सहवर्ती ज्यात बुझाई गई. अमनो आत्मा स्वर्गमा पहोंची गयो. मुनिराज चकोर हता.. तेमणे पूज्यनी अस्वस्थता तुरत अमर रहो से जीवनपति महापुरुष !!! कळी लीधी. तेमणे सूरिजीने आग्रह करीने आराम | कोटि कोटि वंदन हो से जीवनपति महापुरुषने !!!
SR No.004402
Book TitleMadhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajshekharvijay
PublisherShrutgyan Amidhara Gyanmandir
Publication Year
Total Pages646
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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