SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 22] [ जीवनपति करवु जोई. विरतिना परिणाम न आवे. ज्यां सुधी ममत्व भाव दूर आशाओ अपूर्ण रहे तेनो हजी वांधो नथी, पण संयमन थाय त्यां सुधी कषाय उपर विजय न मेळवी शकाय. | मार्ग घणो कठिन छे, मीणना दांते लोढाना चणा ज्यां सुधी कषायो दूर न थाय त्यां सुधी अयोग | चावथा समान छे. आथी तु घणो दुःखी थईश तेनु अवस्था प्राप्त न थई शके. अयोग अवस्था | मने दुःख छे. तारुं सुकोमल शरीर आ संयमना प्राप्त थया पछी आ जीत्र सकल कर्मोथी | भारने शी रीते वहन करी शकशे ?.................... मुक्ति मेळवीने मुक्तिमां पहोंची जाय छे. पछी | काश्मीरीलाल आ सांभळी जराय गभरायो तेन आ संसारनी विटंबणा कदी प्राप्त थती नथी. | नहि. ते समजतो हतो के अन्य सर्व संबन्धो करतां माटे सर्व प्रथम संसारना भौतिक पदार्थो भने कुटुंब- | माता-पुत्रना सम्बन्धमा प्रेमनी लागणी वधारे होय कबीला उपरना ममत्वने दूर करवानी जरूर छे. | छे. तेमां पण मातानो पुत्र उपर प्रेम वधारे होय छे. भौतिक पदार्थोनो तथा कुटुंब कबीलानो त्याग कर्या माता पुत्रना प्रेममा पोताना दुःखो भूली जाय छे. विना तेमना उपरनो ममत्व भाव दूर थवो अशक्य छे. | पोताना प्राणथी पण अधिक पुत्रनी संभाळ राखे छे. माटे आत्म कल्याण इच्छनारे आ संसारने तिलांजलि | माता पुत्रना दुःखे दुःखी अने पुत्रना सुखे सुखी बनी आपीने भगवान महावीरे बतावेल संयमपंथे प्रयाण | जाय छे. अथी ज लोकोना मुखेथी शब्दो "मा ते मा, बीजा बधा वगडाना वा". आथी ज पू० अमी वि० म० आवी वैराग्यमय वाणी | पुत्रनो वियोग माताने असह्य बनी जाय छे. पूर्वे जम्बूस्वामो जेबा महापुरुषोने पण संसारनो त्याग अवार नवार काश्मीरीलालनेसंभळावता हता. यौवनना आंगणे प्रवेश करवानी तैयारी करता काश्मीरीलालना करता पहेलां माताने मनाववामां महेनत कम नथी अंतरमा आ वाणीनो जब्बर पडघो पड्यो.तेने संसारना। करवी पडी. आथी गमे तेम करीने माताने मनाव्ये भौतिक पदार्थोनी क्षणिकता समजाणी. संसारना संबं | ज छूटको. ___काश्मीरीलाले हिंमत धारण करीने गंभीर धीओनी स्वार्थपरायणता समजाणी. आथी तेना हृद स्वरे छतां बाहोशता भरी वाणीथी माताने कह्य, मा ! यमां वैराग्यनी ज्योत प्रगटी. तेणे संसारनो त्याग करी | | आ विषयमां तारी गेरसमज छे, अज्ञानता छे. शु संयमना सन्मार्गे जवानो निर्णय को. खरेखर ! | संसारमा रहेनारने तकलीफ नथी वेठवी पडती ? लघुकर्मी जीवोने उपदेशनी असर शीघ्र थाय छे. निर्धनोनी वात जबा दई, धनवानोने पण क्या माता पासे पुत्रनी जीत सुख छे ! घरे क्यारेक 11 वागे जमवा आवे तो कोई | वखत 1 वागे आवे. भाग्येज क्यारेक समयसर वैरागी बनेल काश्मीरीलाल हवे संसारनी जमवा आवे. जमवामां पण क्यां शान्ति ! जमता केदमांथी छूटवानी तैयारी करवा लाग्यो.पोतानो संसार | जमता पण संसारना अनेक प्रश्नो मगजमां रमता त्याग करवानो निर्णय वडिलो पासे व्यक्त को. तेनो होय छे. क्यारेक ईन्कमटेक्षनु लफरूं आवे तो कोई आ निर्णय सांभळीने माता धनदेवीनी अक आंख | वखत लेण देणनु लफरूं आवे. घरनी पण चिंता माथी श्रावण अने बीजी आंखमांथी भादरवो वर्षवा | केटली ? आजे अक वस्तु लाववानी तो काले बीजी लाग्यो. पुत्रवियोगनी वात सांभळीने कयी माता दुःखी नथी बनी ? धनदेवीनु हृदय शोकथी भराई गयु.लीयोन लीधो त्यां तो पुत्रीने परणाववानी चिन्ता वस्तु लाववानी. हजी पुत्र ने परणावी शान्तिनो श्वास तेनामां बोलवानी पण हिंमत न रही. छतां महा. ऊभी थई. आम अक पछी अक चिन्ताओ ऊभीज रहे महेनते बल अकठु करीने ते बोली.. छे. छताय घडीभर मानी लई के संयममां तकलीफ हे लाल ! आ तु शु बोले छे ! मारा मननी वेठवी पड़े छे, तो पण संसारमा परिभ्रमण करता आ सघळी आशाओने तें भग्न करी नाखी. बेटा ! मारी | जीवे पराधीनपणे शु सहन नथी कयु ?..
SR No.004402
Book TitleMadhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajshekharvijay
PublisherShrutgyan Amidhara Gyanmandir
Publication Year
Total Pages646
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy