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________________ ___ अढीकीपना नकशानी हकीगत. वणे ते उपर पद्मनामे देवता पढ्योपमायु वालो वसे तेमज ए रम्यक् देत्र पण घ णो रम्य मनोहर , तथा रम्यक् नामे देवता वशेडे, तेथी एनुं रम्यक् नाम शाश्वतुंडे. हवे रुक्मि (रूपी) पर्वत कहेजेः-रम्यक्त्र ने उत्तर दिसे अने हिरण्यवंत क्षेत्रने द दण दिसे रुक्मी पर्वत ते महाहिमवंतनी वक्तव्यताये जाणवो. इहां महापुंडरिक नामे अहले तेमांथी नरकांता नामा नदी दक्षण दिसेथी पूर्वोक्त रोहितानी परे पूर्व दिसे जाय ने तथा रूपकुला नदी उत्तर दिसेथी नीकली ते हरिकांतानी पेरे पश्चिम दिसे जायजे. ___ ए रूपी पर्वत उपर श्राप कूट तेनां नाम कदेः -1 सिझायनकूट 2 रुक्मीकूट 3 रम्यक्कूट 4 नरकांता कूट 5 बुझिदेवीकूट 6 रूपकुलाकूट हैरएयवंतकूट 7 मणिकां चनकूट ए सर्व कूट पांचशे पांचशे योजननां ने ए पर्वत रूपामय बे रूपानी पेरे कांती अने रुक्मिनामा देवता पस्योपमनी स्थितिये वशे माटे एनुं रुक्मि एवं शाश्वतुं नाम __ए रुक्मी पर्वतने उत्तर दिसे अने शिखरी पर्वतने दक्षण दिसे हैरण्यवंत नामे युगल क्षेत्र के तेनो अधिकार हेमवंत देवनी पेरे जाणवो. यहां सुवर्णकुला महा नदीने पश्चिम दिसे अने रूप्पकुला महानदीने पूर्व दिसे हैरण्यवंत क्षेत्रने मध्य नागे, माव्यवंत नामे वृत्तवैताढ्य पर्वत ने तेनो वर्णन शब्दापाती वृत्तवैताढ्यनी पेरे जाणवो एना कमल ते मा व्यवंत सरखा प्रनाये माल्यवंत सरखे वर्णेने तथा प्रजास नामे देवता पढ्योपमनी स्थि तिये शहां रहे तेथी तथा हैरएयवंत क्षेत्र ते रुक्मी अने शिखरी पर्वत तेणे करीबे पासे सहीत ने, तथा नित्ये हिरण्य एटले सुवर्णरूप प्रकाशे तथा श्राशनादिके करी नित्ये हिरण्य दीएने, अने श्हां हैरएयवंत नामे देवता वशे तेथी एनुं नाम हैरण्यवंत. हैरण्यवंत देत्रने उत्तर दिसे अने ऐरवतदेत्रने ददण दिसे शिखरी नामे वर्षधर पर्वत बे, तेनो लंबाश् श्रादिक सर्व अधिकार चूल हेमवंत पर्वतनी पेरे जाणवो यहां पुंडरिक नामे अह डे तेमांथी सुवर्णकुला महानदी दक्षण दिसे नीकली ते रोहीतांसानी पेरे पूर्व दिसि समुजमां जाय अने जेम गंगा अने सिंधु ए बे नदी नरत देत्रमा जाय तेम शहां रक्ता अने रक्तवती ए बे नदी ऐवतदेत्र माहे जाय ने तेमां पूर्व दिसिये रक्ता नदी अने पश्चिम दिसिये रक्तावती नदी जाणवी शेषाधिकार सर्व चुन्न हेमवंतनीपेरेजाणवो. शिखरीपर्वतने विषे इग्यारकूट ने तेनां नाम कहेजेः-१ सिकायतन कूट, बीजो शि खरी कूट, त्रीजो हैरण्यवंत कूट, चोथो सुवर्णकूला कूट, पांचमो सूरादेवी कूट, हो रक्तावर्त्तन कूट, सातमो लक्ष्मी कूट, आठमो रक्तावत्यावर्तन कूट, नवमो श्लादेवी कूट, दशमो ऐरवत कूट, अगीश्रारमो तिगिनि कूट ए सर्व कूट पांचशे योजननां जाणवा तथा ए शिखरी पर्वतने विषे घणा कूट शिखरीदने संस्थाने संस्थित , सर्व रत्नम य ने, अने श्हां शिखरी नामे देवता वशे तेथी एनुं शिखरी एवं शाश्वतुं नाम .
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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