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________________ अढीछीपना नकशानी हकीगत. हवे तीर्थंकर तथा चक्रवर्ति प्रमुख क्या उपजे ते कहेले. श्रा जंबछीपने विषे जघन्य तो चार तीर्थंकर समकाले होय वली उत्कृष्टतो बत्री श विजयना बत्रीश अने जरत तथा ऐरवतना बे मलीने चोत्रीश समकाले होय. तथा वासुदेव, चक्रवर्ति अने बलदेव ए त्रण पुरुष जघन्यतो समकाले प्रत्येके चार चार होय श्रने उत्कृष्टा त्रीश होय. जेवारे चक्रवर्ति होय, तेवारे वासुदेव न होय, अने जेवारे वासुदेव होय, तेवारे चक्रवर्ति नहोय तेमाटे त्रीश समकाले होय, पण चोत्रीश नहीं य, बत्रीश विजय तथा जरत अने ऐरवत मली चोत्रीश देत्र उपजवाना जाणवा. हवे नीलवंत पर्वतनो विचार कहेजेःमहाविदेहने उत्तर दिसे अने रम्यकदेत्र युगलीयानुं तेनी दहण दिसे नीलवंत ना मा वर्षधर पर्वत बे, ते जेम निषध पर्वतनी वक्तव्यता कही तेमज लंबा पोहोलाइ शादिक एमां पण कहेवी अने यहां केशरी नामे उहजे, तेनी दक्षण दिसि थकी सीता महानदी नीकली थकी उत्तरकुरु माहे आवती बे यमक पर्वत तथा पांच पद प्रत्ये बे प्रकारे वेहेंचती थकी एनी वच्चे थश्ने चोरासी हजार नदीये पूराती पूराती नशालवन प्रत्ये श्रावती मेरुपर्वत पासे बे योजन अण पोहोती थकी पूर्वदिसि साहामी वली ते माल्यवंत नामे गजदंत पर्वतने नीचे नेदीने मेरुपर्वतनी पूर्व दिसे पूर्वमहाविदेह क्षेत्रने वे लागे वेहेंचती थकी एकेका चक्रवर्तिना विजयथकी अहावीश अहाबीश हजार नदीये पूराती पूराती 53200 नदीये सहीत थकी विजय नामा जंबूहीपना हारने नीचे जगती नेदीने पूर्व दिसे लवण समुरुमां जले, शेष अधिकार सीतोदा परे जाणवू. हां नारीकांता नदी, केशरी पहनी उत्तर दिसि थकी नीकली तेनुं अधिकार हरि कांता नदीनी पेरे जाणवू पण एटलुं विशेष जे गंधापाती वृत्तवैताढ्य पर्वतने एक योजन श्रण पोहोती थकी पश्चिम साहामी वली थकी समुजमा जले डे, शेष तेमज जाणवू. नीलवंत पर्वतना नव कूटनां नाम कहेजेः-१ सिझायतन कूट 2 नीलवंत कूट 3 पूर्व विदेह कूट 4 सीता कूट 5 कीर्तिदेवी कूट 6 नारीकांता कूट 7 अपर विदेह कूट G रम्यक्कूट ए उपदर्शन कूट ए सर्वकूट पांचशे योजनना जाणवा तथा ए पर्वतनो नीलोवर्ण, नीलीकांति, सर्ववैडूर्यरत्नमय नीलो , अने नीलवंत नामे देवता श्हां ए क पक्ष्योपमायुये वसे , माटे एन नीलवंत एवं शाश्वतुं नाम बे. हवे रम्यक् नामे युगलीयानुं देत्र कहेजेः-नीलवंतने उत्तर दिसे अने रूपी पर्वतने ददण दिसे रम्यक् क्षेत्र तेनुं वर्णन जेम पूर्वे हरिवर्ष युगल देवतुं कडं तेनी प रे जाणवं. तथा नरकांता नदीने पश्चिम दिसे अने नारिकांता नदीने पूर्व दिसेए क्षेत्रमा गंधापाती नामा वृत्तवैताढ्य पर्वतले, तेमां घणा कमल गंधापातीना वर्ण सरिखा रक्त
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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