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________________ देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो. (01 त्रीजा चोथा देवलोकना देवो मुख, हाथ, नख, स्तन प्रमुखना फरसे संजोग सुख पामे. पांचमा बहा देवलोकना देवो देवांगनानां रूप देखी संजोगसुख पामे. सातमा थाठमादेवलोकनादेवो देवांगनाना गीत,हास्यना शब्द सांजलीनेसंजोगसुखपामे उपरांत आणतादि चार देवलोकना देवता तो पोताने स्थानके रह्या थकाजजे देवांगनानी मनमां चिंतवणा करे, तेवारे ते देवी पण पोताने स्थानकें बेठी नलीबुरी कामचेष्टा मनमा धरतीनोग माटे सावधान थाय,तेवारे ते देवो तिहांज रह्या मनःसंकल्पे सुरत सुख पामे. नवग्रैवेयक तथा अनुतरविमानवासी देवोने विषयविकार अल्प , तेश्री ते कोश रीते देवांगनाने सेवता नथी तथापि तेमने सुख बीजा देवोथी पण अनंतगुणुं बे. सौधर्म तथा ईशान देवलोकनी देवि कया देवलोकवालाने केटला आयुवाली नोग मां आवे? तथा ते देवोने जोगनी श्छा केवी रीते पूर्ण थाय ? तेनो यंत्र, जवनपति,व्यंतर अने ज्योतिषी देवो सर्व काय सेवी.अने वैमानिक देवोनो यंत्राप्यो. सौधर्म. 1 पट्यो 1 काय नोग सेवी. ईशान. शपल्यो र काय लोग सेवी, सनत्कु० 3 पक्ष्योग १०फरसजोग सेवी. माहेंज. ४पल्योप०१५ फरसजोग सेवी. ब्रह्मदेव. 5 पट्यो २०रूपदेखी जोगसेवी.लांतक. ६पल्योप०२५ रूपदेखी जोग सेवी. शुक्रलोक. पट्यो 30 शब्दनोग सेवी. सहस्रा, जपव्योप०३५ शब्दसंजोग सेवी. आनत. एपल्यो ४०मनेकरी,मनसेवी. प्राणत. 10 पट्योप०४५ मनेकरी नोग सेवी. श्रारण. 11 पट्योग५० मनेकरीनोण्मनसे.अच्युत.१शपठ्योप०५५ मनेकरी जोग सेवी. सौधर्म तथा ईशान देवलोकनी देवीयोनुं गमनागमन कया कया देवलोक सुधी ने. तेनो ___ यंत्र तथा त्रण प्रकारना किदिबषीया देवोनुं आयु अने उत्पत्ति स्थाननो यंत्र. सौधर्मदेवलोकनी. / 1-2-3-4 किल्बिषी देवोनुं आयुष्य. उत्पत्तिस्थान. देवीनुं गमनागमन. ५-६-७-जकिल्बिषी देवोन-पत्य.३ ईशान देवलोकनी. 1--3-4 किल्बिषी देवोर्नु.सागर.३ सनत्कु० माहेंजनीचे. देवीनुं गमनागमन. ५-६--किटिबषी देवोनु.सागर.१३ ब्रह्मलांतकनी नीचे. हवे किब्बषीया देवोनो अधिकार कहे . ए देवो अशुजकर्मना उदयथी देवतामांहे चंगाल सरखा जाणवा, तेमनां स्थानक कहे बे. 1 जे देवो सौधर्म तथा ईशान देवलोकने तले वसे , तेनुं त्रण पक्ष्योपमायुं बे. 2 जे देवो सनत्कुमार देवलोकने तले वसे बे, तेनुं त्रण सागरोपम श्रायु . 3 जे देवो लांतक देवलोकने अधोजागे वसे , तेनुं तेर सागरोपमायु .
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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