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________________ देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो. हवे वैमानिक देवोनां शरीरना वर्ण कहे बे. 1 सौधर्मशान ए बे देवलोकना देवोनां शरीर सुवर्ण सरखी कांतिवालां . २त्रीजा चोथा अने पांचमा देवलोकना देवोनां शरीरनी कांति कमलना केसराजेवी. 3 बहा लांतक श्रादिक सर्व देवोनां शरीर एक बीजाथी उत्तरोत्तर उज्ज्वल उज्ज्व लतर अने उज्ज्वलतम शरीरवाला जाणवा. __हवे लोकांतिक देवोनुं खरूप कहे . श्रा जंब्रहीपथकी असंख्याता द्वीप समुद्र उलंघीये, तेवारे अरुणवर नामा द्वीप नी वेदिकाना बेहेमाथी अरुणवर नामा समुजमां बेहेतालीश हजार योजन जश्ये, तिहां पाणीनी उपरना तलीयाथी उंचो अपकायमय महांधकाररूप तमस्काय निकल्यो बे, ते अगीयारसो योजन सुधी नीत सरखो थश्ने पनी तीर्थो विस्तार पामतो पामतो सौध र्मादि चार देवलोकने आवरी उँचो ब्रह्मदेवलोकना अरिष्टनामात्रीजा प्रतरे जश् रह्यो बे. हवे पांचमा देवलोकनो जे बीजो प्रतर जे तेना अरिष्ठनामा विमाननी चारे दि शाये सचित्त पृथ्वीमय बेबे कृष्णराजियो बे, . एम चारे दिशिनी आठ कृष्णराजि नाटकना अखामाने आकारे बे, ते आठे कृष्ण राजिना श्राप थांतरामां आठ विमान बे. अने नवमुं कृष्णराजिनी वचमां मध्यनागे विमान . ए नव विमानवासी देवो ते ब्रह्मलोकना समीपे वसे, माटे लोकांतिक देवो कहेवाय अथवा वचला मध्यनागना विमानवासी देवता सर्व एकावतारी माटे लो कशब्दे संसार, तेने अंते थया, माटे लोकांतिक देव कहेवाय बे. बीजा आठ विमानमां वसनारा देवता एकांते एकावतारी न होय पण नवमा वि मानना देवो एकांते एकावतारीज होय, ए नव प्रकारना लोकांतिक देवो. पांचमा देव लोकने बेहडे वसे , तेमनुं श्राप सागरोपमायु दे. तेमना विमानोनां नाम तथा पो तानॉ नाम अने जेमने जेटला देवोनो परिवार , तेनी संख्या नीचे लखीये बैये. विमाननांनामदेवोनां नाम.परिवार संख्या.५ चंज्ञानवि० गईतोय देव. सात हजारदेव 1 अर्चि वि० सारखत देव.सातशे देवो. 6 सूर्याजवि तुषित देव. सातहजारदेवो 2 अर्चिमाली आदित्य देव.सातशे देवो. 7 शुक्रानवि श्रव्याबाधदेव नवशे देवो. 3 वैरोचन. वन्दि देव. चौदशे देवो. सुप्रतिष्ठान. आग्नेय देव. नवशे देवो. 4 प्रनंकर. वरुण देव. चौदशे देवो. ए रिष्ठाजवि० रिष्टाल देव. नवशे देवोपरि. हवे पीस्तालीश लाख योजनना त्रण पदार्थ , तेनां नाम कहे . . 1 सीमंतनामे नरकावासो.५ मनुष्यवेत्र बढीछीपप्रमाण.३ उडुविमान. सिझशिला.
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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