________________ 16 देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो. 1 सौधर्म ईशान देवलोके दक्षिण दिशिना / पूर्वपश्चिमे जे श्रावलिकागत त्रिंशचतुरस्त्र विमानोनी पंक्ति ते दक्षिणेजनी जाणवी. विमान, ते बेहु इंडोनां अर्कोअर्ड डे. श्उत्तरदिशिना विमानोनी पंक्ति उत्तरेंनी. 5 पूर्वपश्चिमे जे वचला मध्यनां इंकवृत्त 3 पूर्व अने पश्चिम दिशाये जे श्रावलिकाग विमान बे, ते सर्व दक्षिणेजना बे. त वाटलां विमान , ते सर्व दक्षिणेजनां. 6 पुष्पावकीर्ण विमान अर्कोथर्ड जे. वैमानिकदेवोमा प्रत्येकदेवलोके विमानोनीसंख्याश्राणवामाटे मुख नूमिसमासादिनोयंत्र देवलोक नाम. सौधर्मेशान. सनत्कुमाहें ब्रह्म देवलोक. लांतकदेवलोक. शुक्रदेवलोक मुख. 14 नूमि. 153 10 // समास. 250 350 रएन तदई. 175 13 प्रतरे गुणवाना. श्रावली संख्या. शएश्य 1100 एज्य पुष्पावकीर्ण. एएए०७५ एएएए एए१६६ भए४१५ ३ए६०४ सर्वसंख्या. / 6000000 2000000 00000 50000 Y0000 सहस्रार दे पानत प्रा आरण अधो ग्रैवेमध्य ग्रैवेऊवं ग्रैवे पंञ्चानु ऊर्ध्वलोके स वलोक. पत. / च्युत. यकत्रिक. यकत्रिक. यकत्रिक. त्तर. 4 संख्या. 7 . 41 २४ए 17 24 201 125 105 ए३ 234 225 . एए ३ए६ 3B 166 Peanumaal w.coach 67 51 37 254 127 You U६दन 332 २६न 204 उ०७४ 13 ए६ 3 2 61 वज्रए 6000 400 300 191 107 100 5 ए०२३ हवे नवनपति, व्यंतर, ज्योतिषी थने पहेला बीजा देवलोकना देवो कायाये करी सं जोग सेवे . मनुष्यनी पेठे जोगवे , परंतु मनुष्यने, स्त्रीनी सेवा करतां वीर्य खरे एटले कामथी निवृत्ति पामे अने देवताने वीर्य होय नही,माटे अतृप्ताज होय. जेवारे क्यारेक मन निवर्ते, तेवारेज संजोग न होय, नहींकां अतृप्ता थका सर्वदा जोग लोगवताज रहे.