________________ 15 चोवीश दमकें पांत्रीश धार. 27 पृथिवीकायनी पेरे चार प्राण होय. 32 समय समय आहारनी श्छा उपजे. शएसंयतीना आठ जांगा,नारकी पेरेजाणवा. 33 काय स्थिति पृथिविकायनी पेरे जाणवी. ३सचित्तादिकत्रणे प्रकारनो आहार लीये. 34 सात लाख जीवायोनि जाणवी. 31 ज अने लोमे करी आहार लीये. 35 सात लाख कोडी कुल जाणवां. 14 हवे तेउकायना दमके पांत्रीश धार कहे जे. 1 शरीर श्राश्रयी औदारिक, तैजस अने 17 प्रथमनी चार पर्याप्ति होय. कार्मण, ए त्रण शरीर होय. १ए आहार श्राश्रयी त्रण, चार, पांच अ 2 जघन्य तथा उत्कृष्टी अवगाहना अं थवा ब दिशिनो आहार लीये. गुलनो असंख्यातमो नाग होय. 20 दीर्घ कालादिक त्रणे संज्ञारहित होय. 3 एकज व संघयण होय. 1 मरीने पांच स्थावर, त्रण विकलेंजिय 4 संझा चार अथवा दश होय. / अने एक तिर्यंच, पंचेंजियनो दंडक में 5 हुँझ संस्थान सूश्नी आणीने आकारे. लीने नवदमकने विषे जाय. 6 क्रोधादिक चारे कषाय होय. 22 एमां दश दंडकना जीवो आवी उपजे. 7 कृष्ण, नील ने कापोत, त्रण लेश्या होय. 23 एमां एकज नपुंसक वेद होय. G एक स्पर्शेजिय होय. 24 अल्पबहुत्व अहाणुं बोलमां कडं बे. ए प्रथमनी त्रण समुद्घात होय. 25 नुवन ए दंडकमा नथी. 10 एकज मिथ्यादृष्टि होय. 26 विरहकाल नथी. निरंतर उपजे . 11 एकज अचकुर्दर्शन होय. 7 एकज मिथ्यात्व गुणगणुं लाने. 12 मति अने श्रुत, ए बे अज्ञान होय. 27 स्पर्शे प्रिय, कायबल, श्वासोवास अने 13 औदारिक काययोग, औदारिक मिश्र श्रायु, ए चार प्राण होयः / काययोग अने कार्मणकाययोग, एत्र श्एसंयतीना नारकीनी पेरे आठ जांगा होय. ण योग होय. ३०सचित्तादिक त्रणे प्रकारनो आहार लीये. 14 प्रथमनां बे अज्ञान अने अचतुर्दर्शन 31 उज अने लोमे करी आहार लीये. एत्रण उपयोग होय. 32 समय समय आहारनी श्वा उपजे, 25 एक समयमा असंख्याता जीव उपजे. 33 काय स्थिति पृथिवीकायनी पेरे जाणवी. 16 एक समयमा असंख्याता जीव च्यवे. 34 सात लाख योनि उपजवानी बे. 27 जघन्य अंतरमुहर्त अने उत्कृष्ट त्रण 35 त्रण लाख कोमी कुल जाणवां. अहोरा त्रिनुं आयुष्य होय.