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________________ 120 अढीछीपना नकशानी हकीगत. श्रने शिखर विस्तार चारशे ने चोवीश योजन , ते अधिका मांडेथी नवं काढतां बाकी पांचशे ने अहाणुं रहे, ते पर्वत, सत्तरशे ने एकवीश योजन ऊंचपणुं , तेनी साथे नाग वेहेंचतां नाग पहोचे नही, ते माटे एकोतेर हजार ने चारशे एटली जल वृद्धि, तथा उमपणानां पंचाणुश्रा नाग , तेने पांचशे ने अहाणुं साथे गुणीये, तेवारे चा र क्रोम बबीश लाख सत्ताएं हजार ने बशे थाय, तेने पर्वतना ऊंचपणाना सत्तरशे ने एकवीश योजन साथे नाग वेहेंचीये, तेवारे चोवीश हजार आठशे ने नव आवे, शेष नवशे ने अगीयार वधे. ते माटे ते चोवीश हजार आठशे ने नव जे , तेमांदे एक ने लीये. पठी पंचाएं जागे वेहेंचीये, तेवारे वशे ने एकशठ योजन उपर पंचाणुआ पं दर नाग आवे. हवे पर्वतनो मूल विस्तार एक हजार ने बावीश योजन . तेमांदेथी जेवारे ए बशे एकशठ योजन, अने पंचाणुश्रा पन्नर नाग काढीये, तेवारे सातशो ने साठ योजन उपर पंचाणुया एंशी नाग रहे, एटलो पर्वतनो विस्तार जाणवो. हवे मांदेली दिशिये जलनी वृद्धि आणवाने अर्थे ए पर्वतना विस्तारनो आंक जे सातशे शाठ योजन उपर पंचाणुथा एंशी जाग , तेने पंचाणुये गुणीये, तेवारे बहोते र हजार बशे ने एंशी एटला पंचाणुया नाग थाय. पड़ी एक पंचाएं हजारनी बीजी सातशेनी, अने त्रीजी बहोंतेर हजार बशे ने एंशीनी, एवा आंकनी त्रण राशि मांमिये तेमां वचेंनी जे सातशेनी श्रेणी , तेनी साथे जेवारे लेहली श्रेणी गुणीये, तेवारे पांच को ड पांच लाख ने बन्न हजार एटला प्रतिनंग थाय. पठी जे पहेली राशि पंचाशी हजा रनी , तेना प्रतिनंग करवा माटे तेने पंचाणुये गुणीये, तेवारे नेवु लाख ने पचीश हजार थाय. एटला प्रतिनंगे उपरना प्रतिनंगनी राशी वेहेंचीये, तेवारे योजन पांच आवे, शेष पांच हजार चारशे ने एकोतेर वधे. तेने पंचाणुं नागे वेहेचतां सत्तावन्न कला आवे, शेष बप्पन गरे, ते माटे एक नेलीये तेवारे कला अहावन्न थाय, एटले पां च योजन उपर अठावन्न कला एटली मांहेली दिशिये जलवृद्धि डे, ते जलथकी पर्वतर्नु चंचपणुं नवशे उंगणोतेर योजनने उपर पंचाणुआ चालीश नाग , तेमांहेथी पांच यो जन ने अहावन्न नाग बाद करीये, तेवारे नवशे त्रेश योजव उपर पंचाणुआ सत्त्योतेर / नाग होय. एटला लवण समुनी शिखा दि शिथी जोतां वेलंधर पर्वत उंचा . तथा ए श्राउ पर्वतना मूलने विषेत्रण हजार बशे ने बत्रीश योजननो परिधि ,अने शिखरने विषे तेरशेने चौद योजननो परिधि,हवे माहोमांहेते पर्वतनो अांतरो श्राणवानो विधि कहे. जंबू छीपनी जगतीथकी बहेंतालीश हजार पांचशे ने अगीयार योजन लवण समु अमांहे गया पड़ी पर्वतना विष्कंजर्नु मध्य , त्यां समुपनुं वृत्तविष्कंन एक लाख पं
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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