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________________ कृतज्ञता प्रदर्शन प.पू.गच्छाधिपति आ. श्री जयघोषसूरीश्वरजी म.सा.। आपने शङ्कास्पद स्थान के निर्णय में मात्र तत्परता ही नहीं, प्रयास भी किया। विद्वर्य आचार्य श्री जयसुन्दरसूरिजी म.सा.।। जिनसे दार्शनिक स्थान की स्पष्टता और लेखबद्ध करने में उल्लेखनीय सहयोग प्राप्त हुआ। विद्वान् आचार्य श्री अभयशेखरसूरिजी म.सा.। जो कर्मविषयक पदार्थनिर्णय और निरुपण में सहायक हुए। शासनमण्डन मुनिवर श्री यशोविजयजी म.सा.। जिन्होने प्रस्तुत ग्रन्थ को साधन्त पठन करके संशोधन से सुशोभित किया। शासनप्रभावक मुनिवर श्री हितरुचिविजयजी म.सा.। जिन्होने महामहोपाध्याय महाराज द्वारा स्वहस्तलिखित प्रति की नकल (झेरॉक्स) भीजवायी। आज्ञांकित मुनिश्री रत्नराजविजयजी म.सा.। जो प्रुफ संशोधन में सहायक हुए। पू. आचार्य श्री कैलाशसागरसूरिजी ज्ञानभंडार - कोबा। जहाँ से प्रस्तुत विषय की मुद्रित पुस्तिका मिली। -आ.वि.कुलचन्द्रसूरि महामहोपाध्याय श्री यशोविजय विरचितं मागपिरिशद्धिप्रकरणंसटीकम
SR No.004398
Book TitleMargparishuddhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKulchandrasuri
PublisherBhidbhanjan Parshwanath Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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