________________ 621 350 181 पद्यानि पृष्ठाडाः पद्यानि पृष्ठाङ्काः राहोश्चन्द्रकलामिवानन लोढव्यस्त विपाण्डुराम 315 चरी 310,574,740 लीनेत्र प्रतिबिम्बितेव 264,469 रुचिरं जितारिहति 227 लीलाइओ णिअसणे 630 सैद्धापाङ्गप्रसरं 345 लीलाविलोलललना . 123 रुरुधुः कौतुकोत्ताल 257 लीलास्मितेन शुचिना रूपं तदोजखि लुलिआ गहवइधूआ रुपमप्रतिविधानमनोज्ञं 487 लोओ जूग्इ जूरउ रेवतीदशनोच्छिष्ट लोचनाधरकृताहृतरागा रेहइ पिअपरिरंभण 62. लोलल्लवङ्गलवली लोलल्लालवल्ली लइ वप्पुल पिअदुद्धं 145 लक्ष्मीपयोधरोत्सङ्ग 462 | इविवरणिग्गअदलो 389,685 लक्ष्मीवशीकरणचूर्ण . 712 चक्र निसर्गसुरभि 320. लभ्यन्ते यदि वाञ्छितान्यपि 299 | वणराइकेसहत्था 425. लाक्षागृहानलविषान्न 588 वर्धते सह पान्थानां 482. ९.मारोवहिं लावण्यसिन्धुरपरैव हिं 464 | वनान्यमूनि न गृहाण्ये- 327, लावण्यैः क्षणदा विराम- 605 | वनेचराणां वनितासखानां 320. लिम्पतीव तमोऽङ्गानि 733 / वन्द्या देवी पर्वतपुत्री 289 वन्द्यास्ते न विचारणीय- 588 1. मालतीमा० 5.27. 2. मेघदू० | वन्द्यौ द्वावपि तावनार्यचरिता- 162 98. 3. रघुवं० 5-37. ४.शिशुपा० 10.3.7. ५.पूर्वार्धमात्रं शिशुपा०२-१६. 1. शार्ङ्गधरपद्धतौ. 2. मालतीमा० पद्यमेतत्समस्यापूरणात्मकम्. महेन्द्रस्तु रे. 5-10. 3. काव्याद० 3-43. 4. गा० वतीचुम्बनोच्छिष्ट' इति 5-12. 6. ध. स० 6.29. 5. किरातार्जु० 9.60. निकस्य दशरूपके स्वरचितं पद्यम् 4-66. | 6. गा० स० 3.57. 7. काव्याद० 5. पञ्चस्तवी 3-18. 8. वेणीसं० 1-8. 2-203. 8. काव्याद० 2-259. 9. वामनकाव्या० 3.4. 10. काव्या- 9. कुमारसं० 1.10.10. उत्तरराम० द० 2.362, मृच्छकटिके च 1.32. ! 5.35.