________________ 670 381 590 519 .. पद्यानि .. पृष्ठाङ्काः पद्यानि पृष्ठावा. पिवतस्ते शरावेण . 301 पेच्छह अलद्धलक्खं पिबेन्मधु यथाकामं 462 | पोढमहिलाणं जं सुछु 338,635 पिसुणेति कामिणीणं प्रकाशो यशसा देवः 261 पिहिते वासागारे प्रजागरात् खिलीभूतः . 322 पीणेत्तुण दुग्गेजं. 334 प्रणम्य शितिकण्ठाय 587 पीणथणएसु केसर 666 प्रणम्य हेतुमीश्वरं 152 पीणपओहरलग्गं 429 प्रणयि सखी सलीलपरिहास पीनश्रोणि गभीरनाभि 328,573 | प्रणवः प्रवणो यत्र 246 पुंसः पुराणादाच्छिय 480 | प्रतीच्छत्याशोकी किसलय पुन्नागनागकेसर 252 प्रत्यक्षवस्तुविषयाय पुरः पारापारातटभुवि | प्रत्यग्रोज्झितगोकुलस्य पुरा यत्र स्रोतः पुलिनमधुना, 375 प्रत्यग्रोन्मेषजिला 594 पुरिससरिसं तुह इमं प्रत्यायन्तो रूढानि 17 पुलअं जणेति दहकंधरस्स 576 | प्रथममरुणच्छायः पुष्णती पुष्पधनुषं प्रफुल्लतापिच्छनिभैरनेकैः 349 पुष्पं प्रवालोपहितं यदि स्यात् 607 प्रयच्छतोचैः कुसुमानि / पुंहवीअ होहिहि पई .. 649 प्रवणमदभ्रमदचल 220 पूर्णेन्दुकल्पवदना प्रवासयति या कान्तं प्रशान्तधर्माभिभवः 605. पृष्ठेषु शङ्खशकलच्छविषु 76 प्रंश्चयोतन्मदसुरभीणि 350 1. वाग्भटहेमचन्द्रौ पद्यस्यास्योत्तरार्थ साधितस्याथ मुरद्विषो 38 पूर्वार्धत्वेमोद्धृतवन्तौ. 2. काव्या० 2- 1. गा० स०३-९६. 2. शाकुन्त० 206. 3. गा०स० 6.58. 4. से. 6.21. 3. मालतीमा० 5-30. ४.मुतुब० 1.3. 5. सेतुब० 124. द्रारा० 3.21. 5. काव्यप्रकाशे 129. 6. काव्याद० 2-345. 7. उत्तर- 6. शिशुपा० 1.22. 7. किरातार्जु० ) राम० 2-27. 8. सेतुब० 11-105. 8-14. . 8. किरातार्जु० 8-28. ; 9. कुमार० 1-44. 10. सेतुब०११. 9. किरातार्जु० 7-35. १०.शिशुपा० / 78. 11. वामनकाव्या० 3-2-14. | 3-12. 3 स. क. 237