________________ 242 621 42 - पद्यानि ' पृष्ठाङ्काः पद्यानि पृष्ठाङ्काः जह जह जरापरिणओ 673 | ज्योतिर्यस्तदिदं तमः समुदितं 179 जैह जह णिसा समप्पइ 516 ज्वलजटिलदीप्तार्चिः 236 जह जह से परिउंबइ बह एहाउं ओइण्णे 120 अणभंतरघोलंत 617 जहे निहादिह्रादोऽसौ णउण वरकोअंडदंडए. 354 जाओ सो वि विलक्खो ण चिहिइ णडो पेच्छिहिइ 670 जाणइ जाणावे 687 | णेमह अवटिअतुंगं 319 जाणइ सिणेहभणि णमह हरं रोसाणल जातश्चायं मुखेन्दुस्ते 169 ण मति दीहसासे 473,643 जातस्य ते पितुरपीन्द्रजितो 588 ण मुअंमि मुए वि पिए 628 जाने कोपपराङ्मुखी प्रियतमा 608 | णवपल्लवेसु लोलइ 528,707 जाने खप्नविधौ ममाद्य णवरिअ पसारिअंगी जितलाटागनाव 260 णवलइपहारमंगे 6 23,667 जितेन्द्रियत्वं विनयस्य कारणं 333 गवलइ पहारतुट्ठाइ जीयाजगज्येष्ठगरिष्ठचारः 269 / वितहच्छेअरआई 674 जुगुप्सत स्मैनमदुष्टभावं 108 | गवि तह अणाजेतारं लोकपालानां 677 लवन्ती 6.1,685 जो जस्स हिअअदइओ णहु णवरं दीवसिहा जोतीअ अहरराउ 548 णावज्झइ दुग्गेज्झिआ 349 गासं व साकवोले 1. गा० स० 3-93. 2. सेतु णिअदइअदंसणुक्खित्त ब० 5.10. 3. गा० स० 4-51. णिहालसपरिघुम्मिर 594 4. गा० स० 1-88. 5. सेतुब० णिसुणिउ पच्छात्तुरअरउ. 308 11.119. 6. उत्तररा० 5.24. 1. गा० स० 4.71. 2. सेतुब० 7. सुभाषिता०, शाइपरप० निद्रादरिद्रस्य. 8. विद्धशालम०. 9. सुभा 1.1. 3. गा० स० 2-47. 4. गा० षितावलौ भारवेः, परं किरातार्जुनीये न | स० 1.28. 5. गा० स० 3-74. प्राप्यते. १०.रघुवं० १२-८९.११.गा. 6. गा० स० 6.64. 7. गा० स० स० 2.6. 1.96. 8. गा० स० 2-48. 634 683