________________ 5 परिच्छेदः।] सरखतीकण्यामलम् / प्रलापो यथा'अमअमअ गअणसेहर रमणीमुहतिलअ चंद दे छिवसु / छित्तो जेहिं पिअअमो मममं वि तेहिं चिअ करेहिं // 337 // ' [अमृतमय गगनशेखर रजनीमुखतिलक चन्द्र हे स्पृश। ... स्पृष्टो यैः प्रियतमो मामपि तैरेव करैः // ] जागरो यथा-- 'तुह विरहुजागरओ सिविणे वि ण देइ दंसणसुहाई। वाहेण जहालोअणविणोणं पि से विहअम् // 338 // ' [तव विरहोजागरकः स्वप्नेऽपि न ददाति दर्शनसुखानि / बाष्पेण यथालोकनविनोदनमप्यस्खा विहतम् // ] कार्य यथा 'अंइकोवणा वि सासू रोआविआ गअवईमैं सोण्हाए / पाअपडणोणआए दोसु वि गलिएसु वलएसु // 339 // [अतिकोपनापि श्वश्रू रोदिता गतपतिकया स्नषया / पादपतनावनतया द्वयोरपि गलितयोर्वलययोः // ] अरतिर्विषयान्तरे यथा' 'असमतो वि समप्पइ अपरिग्गहिअलहुओ परगुणालीवो / 1. 'छित्तो जेहिं पि पिआ' क., 'छित्तो ते जेहि' ख. 2. 'मम' इतिगाथासप्त०. 3. 'पि' क.ख.ग. 4. 'विस' ख. 5. 'तह' ख. 6. 'विरहुन्जागरिओ' क., 'विरहजागरिओ' ख. 7. 'स' क.ख. 8. 'छोअणविलोमणं' क., 'लोअणविलोअणं' ख. 9. 'से हरं तं पि' गाथासप्त०, 'तस्या हतं तदपि' इति च्छाया च. 10. 'आई' क.ख. 11. 'सासु' ख. 12. 'रुआविआ' क., 'आविआ' ख. गाथासप्त.. 13. 'गवईए' क.खः, 'गभव' घ. 14. 'पाअपडणेण माए' ग.प. 15. 'दोम्हवि' ग.घ. 16. 'असमंतो वि' ख. 17. 'अपरिअग्गहिम' क., 'अपरिगाहिअ' ख. 18. 'परगुणालाओ' क...