________________ [2] . शमीनाभिध- .. श्रीपार्श्वजिनस्तोत्रम् / शमीनाभिध श्रीपार्श्वजिन स्तोत्र (अनुष्टुप् छन्द) ... ... ... ... // 1 // [इस लघु स्तोत्र का पहला पद्य प्राप्त नहीं हुआ है / ] .. ... ... .... // 1 // कल्पद्रुमोऽद्य फलितो लेभे चिन्तामरिणर्मया। प्राप्तः कामघटः सद्यो यज्जातं मम दर्शनम् // 2 // हे देव ! आज कल्पवृक्ष फलवान् बन गया है, मैंने चिन्तामणि प्राप्त कर लिया है और तत्काल ही कामघट भी मिल गया है। क्योंकि मुझे आपके दर्शन हो गये हैं // 2 // 1. अस्य लघुस्तोत्रस्याचं पद्यमप्राप्तमस्ति /