________________ न्याय-विशारद-न्यायाचार्य-महोपाध्यायश्रीमद्-'यशोविजय'गरिण-विरचिता हिन्दी भाषानुवादभूषिता स्तोत्रावली ... [1] श्रीपुण्डरीक-शत्रुञ्जयगिरिराजविराजमान श्रीआदिजिनस्तोत्रम् / श्रीपुण्डरीक शत्रुञ्जयगिरिराजमण्डन श्रीअादिजिनस्तोत्र . (गीति-छन्द) प्रादिजिनं वन्दे गुण-सदनं, सदनन्तामलबोधं रे / बोधकलागुण-विस्तृतकोति, कीर्तितपथमविरोधं रे / प्रादि० // 1 // गुणों के आगार, सत्, अनन्त तथा निर्मल ज्ञान से युक्त, ज्ञान-प्रद गुणों से विस्तृत कीर्तिवाले और जिसका मार्ग सभी के द्वारा प्रशंसित