________________ [ 81 यापकी ही प्रेरणा से 'राष्ट्रीय जैन सहकार समिति' की रचना की गई और उस समय के गृहमन्त्री श्रीगुलजारी नन्दा को बुलाकर उसके माध्यम से 17 लाख का सुवर्ण गोल्डबॉण्ड के रूप में अर्पित किया गया। अनन्य साहित्यस्रष्टा तथा कला प्रेमी मनिजी की विशिष्ट प्रतिभा से साहित्य और कला के क्षेत्र में उपयोगी संस्थाओं की स्थापना हई है। अनेक प्रकार के समारोह तथा भव्य प्रदर्शनों की योजनाएं होती रहती हैं। आपके मार्गदर्शन में ही 'यशोभारती जैन प्रकाशन समिति' तथा 'जैन संस्कृति कलाकेन्द्र' उत्तम सेवाकार्य कर रहे है और इसके अन्तर्गत 'चित्र-कला निदर्शन' नामक संस्था भी प्रगति के पथ पर पदार्पण कर रही है। आपकी साहित्य तथा कला के क्षेत्र में की गई सेवा को लक्ष्य में रखकर जैन समाज ने आपको 'साहित्य-कलारत्न' की सम्मानित पदवी से विभूषित किया है। __भगवान् श्रीमहावीर के २५००वें निर्वाण महोत्सव के निमित्त राष्ट्रीय समिति की जो रचना की गई है, उसमें आपकी विशिष्ट योग्यता को ध्यान में रखकर आपको 'अतिथि-विशेष' के रूप में लिया गया है और यह समिति आपकी * साहित्य-प्रतिभा, कल्पना-दृष्टि, शास्त्रीय ज्ञान एवं गम्भीर सूझ-बूझ का यथासमय लाभ ले रही है। लोककल्याण की कामना पूज्यश्रो साहित्य के क्षेत्र में कुछ विशिष्ट योगदान करने की भावना तो रखते ही हैं, साथ ही मुख्य रूप से वर्तमान पीढ़ी के लाभ के लिए तथा जैन संघ के गौरव की अभिवृद्धि के लिए जैनसंघ का सर्वांगीण सहयोग प्राप्त होता रहा तो चित्रकला और शिल्पकला के क्षेत्र में अनेक अभिनव सर्जन करने तथा कुछ-न-कुछ नई देन देने की भी